Delhi Election Result 2020: मुसलमान वोटरों ने नहीं दिया ‘हाथ’ का साथ, कांग्रेस ने 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया था टिकट, सभी की जमानत जब्त

By भाषा | Published: February 11, 2020 08:09 PM2020-02-11T20:09:47+5:302020-02-11T20:10:28+5:30

सीलमपुर से दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी मतीन अहमद भी जमानत नहीं बचा पाए लेकिन उन्हें पार्टी के सभी मुस्लिम प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं।

Delhi Assembly Election 2020: Muslim voters did not give support to Congress gave ticket to 5 Muslim candidates, forfeiting their bail | Delhi Election Result 2020: मुसलमान वोटरों ने नहीं दिया ‘हाथ’ का साथ, कांग्रेस ने 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया था टिकट, सभी की जमानत जब्त

कांग्रेस पार्टी

Highlightsदक्षिण दिल्ली की ओखल विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम समाज ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। बल्लीमारान से 1993 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक रहे और शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ ने 2013 में 36.18 फीसदी वोटों के साथ सीट पर कब्ज़ा किया था।

मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप झेलने वाली कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव में समुदाय से निराशा ही हाथ लगी है। कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पांच मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया था, लेकिन इन पांचों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। सीलमपुर से दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी मतीन अहमद भी जमानत नहीं बचा पाए लेकिन उन्हें पार्टी के सभी मुस्लिम प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। उन्हें 15.61 फीसदी वोट मिले हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में अहमद ने 46.52 प्रतिशत मत हासिल करके जीत दर्ज की थी।

आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार मसूद अली खान को 12.99 फीसदी वोट मिले थे और वह चौथे नंबर पर रहे थे। मगर 2015 के विधानसभा चुनाव में कहानी पलट गई थी और आप के मोहम्मद इशराक ने 51.26 प्रतिशत मत हासिल करके जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के अहमद तीसरे नम्बर पर चले गए थे और उन्हें 21.28 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट से भाजपा के संजय जैन 26.31 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार आप के अब्दुल रहमान 56.05 प्रतिशत वोटों के साथ जीते हैं।

ओखला सीट से मिली कांग्रेस को करारी हार

दक्षिण दिल्ली की ओखल विधानसभा सीट पर भी मुस्लिम समाज ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया। इस सीट से 1993 से 2008 तक कांग्रेस के परवेज हाशमी विधायक थे और 2009 में विधानसभा से इस्तीफा देकर राज्यसभा चले गए थे। इसके बाद हुए उपचुनाव में राजद के टिकट पर आसिफ मोहम्मद खान ने यह सीट जीती थी लेकिन वह बाद में वह कांग्रेस में आ गए थे और 2013 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। उन्होंने 36.34 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। तब इस सीट से आप से इरफानुल्ला खान 17.05 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के अमानतुल्ला खान ने 62.57 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के आसिफ मोहम्मद तीसरे नंबर पर चले गए थे और उन्हें 12.08 प्रतिशत वोट मिले थे।

ओखला से दूसरे नंबर पर भाजपा के ब्रह्म सिंह (23.84 प्रतिशत मत) रहे थे। इस बार कांग्रेस ने आसिफ को टिकट नहीं देकर हाशमी पर भरोसा जताया। हाशमी को 2.6 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि भाजपा के सिंह को 21.97 प्रतिशत मत मिले हैं। अमानतुल्ला खान 72.49 वोट हासिल कर जीते हैं। शाहीन बाग का इलाका ओखला विधानसभा क्षेत्र में ही आता है, जहां करीब दो महीने से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ महिलाओं सहित काफी संख्या में लोग धरने पर बैठे हुए हैं।

बल्लीमारान से 1993 से 2015 तक कांग्रेस के विधायक रहे और शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ ने 2013 में 36.18 फीसदी वोटों के साथ सीट पर कब्ज़ा किया था। इस सीट से आप की फरहाना अंजुम तीसरे नंबर पर रही थी और उन्हें 14.76 प्रतिशत वोट मिले थे। मगर 2015 में युसूफ तीसरे नंबर पर खिसक गए और उन्हें 13.80 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि बसपा से आप में आए इमरान हुसैन ने 59.71 फीसदी वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। हुसैन दिल्ली सरकार में मंत्री हैं। इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर किस्मत अज़मा रहे युसूफ को 4.73 फीसदी वोट मिले हैं और आप के हुसैन 64.65 फीसदी वोट प्राप्त कर विजय हुए हैं। बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के आप के साथ जाने का कारण भाजपा नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी मानी जा रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता फहीम बेग ने ‘भाषा’ से कहा कि भाजपा नेताओं की भड़काऊ बयानबाज़ी से आप के पक्ष में लोग एकजुट हुए और सभी ने विकास के लिए वोट किया। इसमें मुस्लिम भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह अग्निपरीक्षा थी कि क्या जनता विकास पर वोट करेगी या हिन्दू-मुसलमान के मुद्दे पर। लोगों ने विकास का साथ दिया और इस चुनाव में कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं था। भाजपा के मॉडल टाउन से प्रत्याशी कपिल मिश्रा, भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भड़काऊ बयान दिए थे।

चुनाव आयोग ने उन पर कार्रवाई भी की थी। मुस्तफाबाद विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी और 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हसन अहमद जीते थे। हसन को 2013 में 38.24 प्रतिशत वोट मिले थे और आप के कपिल धर्म 13.43 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन 2015 के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के जगदीश प्रधान सीट से जीत गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के हसन अहमद को 31.68 फीसदी और तीसरे स्थान पर रहे आप के हाजी युनूस को 30.13 प्रतिशत वोट मिले थे और प्रधान को 35.33 प्रतिशत मत मिले थे। लेकिन इस बार मुस्तफाबाद सीट से मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया। इस बार कांग्रेस ने हसन के बेटे अली महदी को टिकट दिया है और उन्हें अब तक महज 2.89 प्रतिशत वोट मिले हैं।

वहीं आप के युनूस 53.2 फीसदी वोट हासिल करके जीत गए हैं। मटियामहल सीट पर 1993 से कभी भी कांग्रेस नहीं जीती है। यहां से अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर 2015 तक शुएब इकबाल ही जीतते आए हैं। लेकिन कांग्रेस को इतने कम वोट कभी नहीं मिले जितने ही इस बार मिले हैं। 2013 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े मिर्जा जावेद को 27.68 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, 2015 में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे इकबाल को 26.75 फीसदी वोट मिले थे और आप के आसिम खान को 59.23 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन इस बार फिर से मैदान में उतरे कांग्रेस के मिर्जा जावेद को 3.85 प्रतिशत वोट मिले हैं।

इस बार इकबाल आप के टिकट पर मैदान में हैं और उन्हें 75.96 फीसदी वोट मिले हैं। यही हाल चांदनी चौक और बाबरपुर विधानसभा क्षेत्रों का है, जहां अच्छी खासी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। बाबरपुर से कांग्रेस की उम्मीदवार अन्वीक्षा जैन को 3.59 फीसदी और चांदनी चौक से कांग्रेस प्रत्याशी अल्का लंबा को 5.03 प्रतिशत वोट मिले हैं। 

Web Title: Delhi Assembly Election 2020: Muslim voters did not give support to Congress gave ticket to 5 Muslim candidates, forfeiting their bail

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