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दिल्ली वायु प्रदूषण: ‘सफर’ की सलाह पर अमल से बचा सकते हैं 7,694 करोड़ रु का चिकित्सकीय खर्च

By भाषा | Updated: December 2, 2021 20:32 IST

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नयी दिल्ली, दो दिसंबर दिल्ली में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से पीड़ित लोग अगर सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ की सलाह का पालन करें तो वे स्वास्थ्य व्यय पर सालाना 7,694 करोड़ रुपये तक बचा सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।

इसी तरह, अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहर पुणे में प्रदूषण से पीड़ित लोग चिकित्सा व्यय पर 948 करोड़ रुपये तक बचा सकते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि अगर दिल्ली में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से पीड़ित कुल आबादी का पांच प्रतिशत हिस्सा सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ की सलाह का पालन करता है तो स्वास्थ्य व्यय पर 1,096 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत की जा सकती है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 2010 में शुरू वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (सफर) वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता पर स्थान-विशिष्ट की जानकारी प्रदान करती है और देश के चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, पुणे और अहमदाबाद में यह एक से तीन दिन पहले तक का पूर्वानुमान व्यक्त करती है।

‘सफर’ की टीम में सुवर्णा टिकले, इशिका इल्मे और प्रो. गुफरान बेग शामिल हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘रीजनल इकोनॉमिक डेवलपमेंट रिसर्च’ में ‘भारत के आर्थिक स्वास्थ्य बोझ को कम करने में सफर वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान ढांचे और सलाहकार सेवाओं का प्रभाव’ शीर्षक से शोध पत्र लिखा है।

बेग ने कहा, ‘‘हमारे निष्कर्ष इस विचार का समर्थन करते हैं कि सार्वजनिक ज्ञान और प्रारंभिक चेतावनी स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण घटक हैं। इस अध्ययन के अनुसार ‘सफर’ को वायु प्रदूषण से पीड़ित लोगों द्वारा खर्च किए गए कुल धन का 11-14 प्रतिशत बचाने का श्रेय दिया जाता है।’’

इस अध्ययन में वायु प्रदूषण से संबंधित फेफड़े के रोग (अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर-सीओपीडी और अन्य संबंधित बीमारियों) में लागत पर बचत का विचार किया गया है। अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली और पुणे में वायु प्रदूषण से संबंधित सभी बीमारियों पर वार्षिक रूप से औसत लागत क्रमशः 7,694 करोड़ रुपये और 948 करोड़ रुपये है।

उसमें बताया गया है कि दिल्ली में ‘एलर्जिक राइनाइटिस’ के इलाज पर सबसे ज्यादा 1449 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इसके बाद अस्थमा के उपचार पर 1,001 करोड़ रुपये और सीओपीडी के इलाज पर 514 करोड़ रुपये व्यय होते हैं

बेग ने कहा, ‘‘अगर हम 5 से 10 प्रतिशत आबादी के बीच जागरूकता बढ़ा सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों को खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में सफर की तीन दिवसीय प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के आधार पर उपाय करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं तो एक साल में दिल्ली में लाभ बढ़कर 2,192 करोड़ रुपये और पुणे में 200 करोड़ रुपये होने की संभावना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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