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रक्षा मंत्रालय ने विभिन्न समय-सीमा के तहत 351 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाए

By भाषा | Updated: December 29, 2021 18:37 IST

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नयी दिल्ली, 29 दिसंबर रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को 351 उप-प्रणालियों और घटकों की एक नयी सूची की घोषणा की, जिन्हें अगले साल दिसंबर से शुरू होने वाली विभिन्न समय सीमा के तहत आयात करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

यह पिछले 16 महीनों में मंत्रालय द्वारा जारी की गई तीसरी सूची है। यह कदम भारत को सैन्य प्लेटफार्म और उपकरणों के निर्माण का केंद्र बनाने के सरकार के समग्र उद्देश्य के हिस्से के रूप में उठाया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि इस पहल से हर साल लगभग 3,000 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

मंत्रालय ने 2,500 वस्तुओं की भी एक सूची जारी की, जिनके बारे में कहा गया है कि वे पहले ही ‘‘स्वदेशी’’ हो चुकी हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय द्वारा उप-प्रणालियों, संयोजनों, उप-संयोजनों, घटकों की एक निर्णायक स्वदेशीकरण सूची को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आयात को कम करने के प्रयासों के तहत अधिसूचित किया गया है।’’

मंत्रालय ने कहा कि, ‘‘351 आयातित सामग्रियों’’ को अगले तीन वर्षों में ‘‘स्वदेशी’’ बना लिया जाएगा। नयी सूची पर अधिसूचना सोमवार को जारी की गई।

मंत्रालय ने कहा कि सूची में उल्लेखित विभिन्न सामग्री निर्धारित समय-सीमा के अनुसार भारतीय उद्योगों से ही खरीदी जा सकेगी। अधिसूचना के अनुसार, 172 वस्तुओं की पहली खेप पर आयात प्रतिबंध अगले साल दिसंबर तक लागू हो जाएगा, जबकि यही प्रावधान 89 घटकों की दूसरी खेप पर दिसंबर 2023 तक लागू होंगे। इसके अलावा, 90 वस्तुओं की एक और खेप पर आयात प्रतिबंध दिसंबर 2024 से प्रभावी होगा।

वस्तुओं में लेजर चेतावनी सेंसर, उच्च दबाव जांच वाल्व, उच्च दबाव ग्लोब वाल्व, जल निकासी अतिक्रमण का पता लगाने वाली प्रणाली, विभिन्न प्रकार के केबल, सॉकेट और वोल्टेज नियंत्रण ऑस्किलेटर शामिल हैं।

पिछले साल अगस्त में, मंत्रालय ने घोषणा की थी कि भारत 2024 तक 101 हथियारों और सैन्य प्लेटफार्म जैसे परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पारंपरिक पनडुब्बी, क्रूज मिसाइल और सोनार सिस्टम के आयात को रोक देगा।

दूसरी सूची मई में जारी की गई थी। इसके तहत 108 सैन्य हथियारों और अगली पीढ़ी के कार्वेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन और रडार जैसी प्रणालियों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया।

पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने पिछले साल मई में रक्षा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने की घोषणा की थी।

भारत दुनिया भर में हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। सरकार अब आयातित सैन्य प्लेटफार्म पर निर्भरता कम करना चाहती है और उसने घरेलू रक्षा निर्माण का समर्थन करने का फैसला किया है। अनुमानों के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों के अगले पांच वर्षों में पूंजीगत खरीद मद में लगभग 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है।

रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्ष में रक्षा निर्माण में 25 अरब डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा है, जिसमें 5 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात लक्ष्य शामिल है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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