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लद्दाख में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प, पढ़ें क्या है विवाद पर भारत के रक्षा विशेषज्ञों की राय

By एसके गुप्ता | Updated: June 16, 2020 18:31 IST

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कायम गतिरोध ने हिंसा का रूप ले लिया है और गलवान घाटी में हिंसक झड़प' में एक भारतीय अफसर और दो जवान शहीद हो गए।

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ठळक मुद्देगलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच 'हिंसक झड़प' में एक भारतीय अफसर और दो जवान शहीद हो गए।भारत और चीन के बीच विवाद को लेकर देश के रक्षा विशेषज्ञों ने अपनी राय सामने रखी है।

भारत और चीन के बीच सीमा पर पिछले कई दिनों से जारी तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच 'हिंसक झड़प' में एक भारतीय अफसर और दो जवान शहीद हो गए। भारतीय सेना के अनुसार ये घटना बीती रात की है। भारत और चीन के बीच विवाद को लेकर देश के रक्षा विशेषज्ञों ने अपनी राय सामने रखी है।

जनरल विक्रम सिंह, पूर्व सेनाध्यक्ष

चीन का रूख पहले से आक्रमक हुआ है। इस हमले में पत्थर और डंडों का इस्तेमाल किया गया है। देश के फौजी सीमा पर डटे हुए हैं। जहां तक भारत की क्षमता का सवाल है तो एशिया के दो ही जाइंट देश हैं भारत और चीन। चीन यह अच्छे से समझ ले कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है। हम आज चीन की आंखों में देखने के लिए सक्षम हैं। सोचना चीन को है। जहां तक जंग के आदेश की बात है तो यह निर्णय सरकार को लेना होगा। क्योंकि इतने सालों बाद चीन का काफी आक्रमक रूख देखने को मिला है। स्थिति चुनौतीपूर्ण हैं और ऐसे में कोई भी कार्रवाई बहुत सोच विचारकर की जाती है।

जीडी बक्शी, सेवानिवृत्त मेजर जनरल

चीन-भारत के बीचा छोटी-मोटी झड़पें होती रही हैं। लेकिन कभी इतनी बड़ी कैजुएल्टी नहीं हुई। हमें प्रैक्टिकल होना होगा। हमें एसी ऑफिस में बैठकर आर्मी के हाथों को नहीं बांधना चाहिए। सोच में बदलाव करना होगा कि अब धक्का-मुक्की होती आई है तो चलती रहेगी। वरना 20-50 सैनिक आप मरवा देंगे। उनके परिवारों पर फर्क पड़ता है। डेढ़ माह से बातचीत हो रही है और यह सब बढ़ता जा रहा है। हमारे सैनिकों के पास हथियार हैं तो उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करने के लिए कहा जाए। वरना पत्थर-डंडे से वह मारते रहेंगे और हम बातचीत-बातचीत खेलते रहेंगे।

प्रफुल बक्शी, पूर्व विंग कमांडर

इस घटना के बार देश की एयरफोर्स तैयार बैठी है। हमारे कमांडर तैयार हैं। देश की सरकार से एक ही बात कहनी है कि कभी तो पहल दिखाइए। अगर अभी नहीं किया तो चीन हमें दबाएगा। दबाने की कोशिश करेगा। इसलिए जवाब देना जरूरी है।

शैलेंद्र सिंह, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल

चीन हमारे रवैये से परेशान है। भारत ने जिस तरह से अपनी सीमा सुरक्षा के लिए गोलाबंदी की है। चीन ने सेना तैनात की तो भारत ने भी सेना तैनात कर दी। पंजाब रेजीमेंट काफी रोष में है, पंजाब रेजीमेंट के सब्र का बांध टूट गया तो संभालना मुश्किल हो जाएगा। चीन ने हमारे तीन सैनिक मारे हैं तो हमें भी उन्हें जवाब देना जरूरी है वरना हमारे सैनिकों का मनोबल कमजोर होगा।

तेज टिक्कू, सेवानिवृत्त कर्नल, रक्षा विशेषज्ञ

चीन ने फायर अलार्म का इस्तेमाल किया है, जो गलत है। चीन ने कहा था कि बातचीत का पालन करेंगे। अंतिम क्षणों में चीनी सेना का वापस लौट जाना और शर्म महसूस करना यह दर्शाता था कि आंखे मिलाकर वह पीछे हट गया है। लेकिन उसने आखें मिलाकर पीछे हटने के बाद फिर से आंखे दिखाई हैं। चीन को ऐसा लग रहा है कि यह गोल्डन टाइम है अपनी पावर दिखाने का। चीन ने टाइम भी वह चुना है जब दुनिया कोरोना महामारी के संकट से जूझ रही है। कहीं न कहीं यह चीन की सैन्य और राजनैतिक साजिश है। जिसका जवाब भारत को सैन्य शक्ति और कूटनीति दोनों से देना चाहिए।

संतपाल राघव, सेवानिवृत्त कर्नल

वियतनाम के बाद चीन ने किसी से लड़ाई नहीं की है। भारत दक्षिण एशिया की महाशक्ति है। चीन अपने को बचाकर भारत को दबाने की रणनीति पर चल रहा है। कोरोना वायरस के मुद्दे से विश्व का ध्यान भटकाने की कोशिश में चीन ने यह गलत कदम उठाया है। भारत को इसका जवाब चीन को देना चाहिए। हमारा देश और सैनिक चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में हर तरह से सक्षम हैं।

राकेश शर्मा, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल

चीन की इस हरकत का जवाब बातचीत से नहीं अपनी स्ट्रेंथ दिखाने से निकलेगा। यह झड़पें 2011 से चली आ रही हैं। यह तो अंदेशा था कि आगे जाकर यह गंभीर होंगी लेकिन इनका खूनी संघर्ष में बदलना और सेना के जवानों का शहीद होना। यह दर्शाता है कि अब वक्त आ गया है। क्योंकि चीन प्रोटोकॉल नहीं मान रहा है तो हमें भी अपनी सीमा सुरक्षा के लिए दम दिखाना ही होगा।

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