महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अनुषांगी संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों (डिफॉल्टर) को चुनाव लड़ने रोकने की मांग कर डाली है. बीएमएस का कहना है कि इसके लिए प्रत्याशियों से बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) अनिवार्य रूप से लिया जाए.बीएमएस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर तीन सुझाव दिए हैं. इसमें कहा गया है कि जिस प्रकार नामांकन से पहले लंबित आपराधिक मामलों, चल-अचल संपत्ति, देनदारियां, आय के स्रोत, बिजली, पानी के बिल और घर का किराया का विवरण मांगा जाता है उसी प्रकार उसके लिए बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया जाए. चुनाव हलफनामे में यह अनिवार्य शर्त जोड़ी जाए कि प्रत्याशी या उसके परिवार पर बैंक का कोई कर्ज बकाया नहीं है. बैंक के अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं होने की स्थिति में बैंक के डिफॉल्टर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. यदि कोई वास्तव में चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे बैंक का कर्ज चुकाना पड़ेगा.
कर्जमाफी के वादे पर लगे रोकबीएमएस ने आयोग से राजनीतिक दलों द्वारा किसानों की कर्जमाफी का वादा नहीं करने का निर्देश देने की मांग की है. संगठन के महामंत्री अश्विनी राणा ने लोकमत समाचार को बताया कि जब राजनीतिक दल चुनाव से पहले किसानों से कर्ज माफी का वादा करते हैं तो कर्ज लौटाने की क्षमता रखने वाले भी अपना भुगतान रोक देते हैं. राजनीतिक दलों की इस बयानबाजी से बैंकों के एनपीए में बढ़ोत्तरी होती है. इसे देखते हुए इसपर रोक लगाई जानी चाहिए.