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तकनीकी-वैज्ञानिक अध्ययन एवं सुझावों के आधार पर बूस्टर डोज पर होगा फैसला : डॉ. वी के पॉल

By भाषा | Updated: December 12, 2021 13:36 IST

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नयी दिल्ली, 12 दिसंबर कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन के पांव पसारने के बाद भारत में कोविडरोधी टीके की बूस्‍टर खुराक लगवाने के मुद्दे पर चर्चा तेज है। सवाल यह है कि क्‍या वाकई बूस्‍टर खुराक की जरूरत है? इसे कब लगवाना है और अभी सरकार का क्या रुख है? इस विषय पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल से ‘भाषा के पांच सवाल’ और उनके जवाब :

सवाल : कोविड-19 के नये ओमीक्रोन स्वरूप के संक्रमण के मामले सामने आने आए हैं, इसके क्या लक्षण हैं ?

जवाब : अभी तक के अध्ययन के अनुसार एस जीन ड्रॉप मरीज के ओमीक्रोन से पीड़ित होने के प्रारंभिक संकेतक सामने आया है। एस जीन, प्रोटीन की सतह को संहिताबद्ध करने से संबंधित है। यह इस संक्रमण का प्रवेश बिन्दु है । हम इसके बारे में अभी जानकारी हासिल कर रहे हैं।

अभी तक दुनिया में वायरस के इस स्वरूप के जो मामले सामने आए हैं, वे बहुत अधिक गंभीर नहीं हैं लेकिन इसके बारे में अभी जानकारी जुटायी जा रही है। हम जीनोम अनुक्रमण करके ही ओमीक्रोन की पुष्टि कर रहे हैं, अभी यही हमारा रूख रहेगा।

सवाल : वायरस के नये स्वरूप आने तथा कई देशों में संक्रमण फिर से बढ़ने की खबरों के बाद बूस्टर खुराक की मांग शुरू हो गई है, इस पर आप क्या कहेंगे ?

जवाब : बूस्टर खुराक की क्या जरूरत है और नये स्वरूप के क्या प्रभाव हैं, इसके बारे में अध्ययन हो रहा है। इसके वैज्ञानिक पहलुओं को ध्यान से जांचा परखा जा रहा हैं और उस पर पूरी नजर है। वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर विचार विमर्श चल रहा है और सबको ध्यान से देखा जा रहा है। इस बारे में वैज्ञानिक तथ्य एवं सुझावों के आधार पर फैसले लिए जाएंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सबसे पहले प्राथमिक टीकाकरण कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का सुझाव दिया है।

सवाल : देश में बच्चों को टीका लगाए जाने की भी मांग की जा रही है, इस बारे में अब तक क्या प्रगति है?

जवाब : इस संबंध में कई स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन किया जा रहा है। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की बैठकों में इसके बारे में व्यवस्थित रूप से गौर किया जाता है। बच्चों के टीकाकरण पर अभी तक कोई सिफारिश नहीं मिली है। वे (एनटीएजीआई) इस संबंध में तथा टीके के अन्य पहलुओं की जांच कर रहे हैं।

सवाल : कोरोना के नये स्वरूप आने के बाद लोगों में कई तरह की आशंकाएं फैल गई है, वास्तविक स्थिति क्या है ?

जवाब : ओमीक्रोन के वैश्विक परिदृश्य के कारण लोगों में परेशानी पैदा हुई है। हम ओमीक्रोन के चरित्र, इसके प्रभाव का अध्ययन कर रहे है। देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अध्ययन हो रहा है। अभी तक पूरी दुनिया में जो मामले सामने आए है, वे बहुत गंभीर नहीं हैं लेकिन हमें कोताही नहीं बरतनी है और हमें वैश्विक स्थिति से सीखना चाहिए।

सवाल : कोविड-19 के नये स्वरूप को लेकर किस प्रकार की सावधानी की जरूरत है ?

जवाब : अभी भी ‘मास्क’ सार्वभौम टीका है। यह प्रारंभिक स्तर पर वायरस को शरीर में प्रवेश से रोकता है। जिन देशों ने प्रारंभ में मास्क को हल्के में लिया था, वहां परेशानी हुई और वे भी इसे अपना रहे हैं । इसलिये ऐसी स्थिति में भय नहीं बल्कि जिम्मेदारी हमारा मंत्र है।

हमें याद रखना होगा कि टीका और मास्क दोनों जरूरी हैं। हाल ही में एक अध्ययन में देश में मास्क के उपयोग में गिरावट की बात सामने आई है । हमें बिल्कुल भी मास्क को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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