लाइव न्यूज़ :

वार्ता में फैसला नहीं हो सका क्योंकि किसान संगठनों ने कानूनों को निरस्त करने के अतिरिक्त कोई विकल्प पेश नहीं किया: तोमर

By भाषा | Updated: January 8, 2021 19:55 IST

Open in App

नयी दिल्ली, आठ जनवरी तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले लगभग एक महीने से सरकार और किसानों के बीच चला आ रहा गतिरोध शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता के बाद भी समाप्त नहीं हो सका। लिहाजा बैठक की अगली तारीख 15 जनवरी तय की गई।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि वार्ता के दौरान किसान संगठनों द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग के अतिरिक्त कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण कोई फैसला नहीं हो सका।

लगभग दो घंटे तक चली बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में तोमर ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि अगली वार्ता में किसान संगठन के प्रतिनिधि वार्ता में कोई विकल्प लेकर आएंगे और कोई समाधान निकलेगा।

एक तरह से उन्होंने कानूनों को निरस्त करने की मांग यह कहते हुए खारिज कर दी कि देश भर के अन्य किसानों के कई समूहों ने इन कृषि सुधारों को समर्थन किया है।

तोमर ने इस बात से इंकार किया कि सरकार ने किसानों के समक्ष कृषि कानूनों से संबंधित उच्चतम न्यायालय में लंबित एक मामले में शामिल होने का कोई प्रस्ताव रखा। उन्होंने हालांकि कहा कि उच्चतम न्यायालय जो भी फैसला लेगी, सरकार उसका अनुसरण करेगी।

सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में इस मामले में 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई को ध्यान में रखते हुए अगली वार्ता तय की गई है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय किसान आंदोलन से जुड़े अन्य मुद्दों के अलावा तीनों कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इन कानूनों को लागू करने का अधिकार राज्यों पर छोड़ने के प्रस्ताव पर विचार करेगी, तोमर ने कहा कि इस संबंध में किसान नेताओं की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो सरकार उस वक्त फैसला लेगी।

तोमर ने कहा, ‘‘वार्ता में तीनों कानूनों पर चर्चा होती रही लेकिन कोई निर्णय आज नहीं हो सका। सरकार का लगातार यह आग्रह रहा कि कानूनों को निरस्त करने के अतिरिक्त कोई और विकल्प अगर यूनियन दें तो सरकार उस पर विचार करेगी। लेकिन बहुत देर तक चर्चा के बाद भी कोई विकल्प आज प्रस्तुत नहीं किए जा सकें। इसलिए चर्चा का दौर यहीं स्थगित हुआ।’’

उन्होंने कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच अगले दौर की वार्ता आपसी सहमति से 15 जनवरी को तय की गई।

बैठक के बाद किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि बैठक बेनतीजा रही और अगली वार्ता में कोई नतीजा निकलेगा, इसकी संभावना भी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ और नहीं चाहते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार हमारी ताकत की परीक्षा ले रही है लेकिन हम झुकने वाले नहीं हैं। ऐसा लगता है कि हमें लोहड़ी और बैशाखी भी प्रदर्शन स्थलों पर मनानी पड़ेगी।’’

एक अन्य किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि किसान जीवन के अंतिम क्षण तक लड़ने को तैयार है। उन्होंने अदालत का रुख करने के विकल्प को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि किसान संगठन 11 जनवरी को आपस में बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।

तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े किसान नेताओं ने सरकार से दो टूक कहा कि उनकी ‘‘घर वापसी’’ तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लेगी।

सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के 41 सदस्यीय प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता में सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि विभिन्न राज्यों के किसानों के एक बड़े समूह ने इन कानूनों का स्वागत किया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए।

तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे थे।

उधर, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद बीते एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक एक किसान नेता ने बैठक में कहा, ‘‘हमारी ‘घर वापसी’ तभी होगी जब इन ‘कानूनों की वापसी’ होगी।’’

एक अन्य किसान नेता ने बैठक में कहा, ‘‘आदर्श तरीका तो यही है कि केंद्र को कृषि के विषय पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेशों में कृषि को राज्य का विषय घोषित किया गया है। ऐसा लग रहा है कि आप (सरकार) मामले का समाधान नहीं चाहते हैं क्योंकि वार्ता कई दिनों से चल रही है। ऐसी सूरत में आप हमें स्पष्ट बता दीजिए। हम चले जाएंगे। क्यों हम एक दूसरे का समय बर्बाद करें।’’

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की कविता कुरुगंती ने बताया कि सरकार ने किसानों से कहा है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं ले सकती और ना लेगी। कविता भी बैठक में शामिल थीं।

लगभग एक घंटे की वार्ता के बाद किसान नेताओं ने बैठक के दौरान मौन धारण करना तय किया और इसके साथ ही उन्होंने नारे लिखे बैनर लहराना आरंभ कर दिया। इन बैनरों में लिखा था ‘‘जीतेंगे या मरेंगे’’। लिहाजा, तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए।

एक सूत्र ने बताया कि तीनों मंत्रियों ने दोपहर भोज का अवकाश भी नहीं लिया और एक कमरे में बैठक करते रहे।

आज की बैठक शुरु होने से पहले तोमर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और दोनों के बीच लगभग एक घंटे वार्ता चली।

इससे पहले, चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे रहे, वहीं सरकार ‘‘समस्या’’ वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करना चाहती है।

किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी।

इससे पहले, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उम्मीद जतायी कि शुक्रवार की बैठक में कोई समाधान निकलेगा।

चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि शुक्रवार को होने वाली बैठक में किसी समाधान तक पहुंचा जा सकेगा। प्रदर्शन कर रही किसान यूनियनों ने पहली बैठक में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की होती तो अभी तक तो हम गतिरोध को समाप्त कर चुके होते।’’

उन्होंने कहा कि पहली बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं की गई थी।

बैठक से पहले कविता कुरूंगती ने कहा, ‘‘अगर आज की बैठक में समाधान नहीं निकला तो हम 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने की अपनी योजना पर आगे बढ़ेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य मांग कानूनों को निरस्त करना है। हम किसी भी संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार इसे अहम का मुद्दा बना रही है और कानून वापस नहीं ले रही है। लेकिन, यह सभी किसानों के लिए जीवन और मरण का प्रश्न है। शुरुआत से ही हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’’

किसान यूनियनों और सरकार के बीच चार जनवरी को हुई सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा रही थी। एक ओर किसान यूनियन तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़ी हैं, तो दूसरी ओर सरकार कानूनों के दिक्कत वाले प्रावधानों और अन्य विकल्पों पर चर्चा करना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को किसान संगठनों ने अपनी मांगों के मद्देनजर सरकार पर दबाव बनाने के लिए ट्रेक्टर रैली निकाली थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटAustralia vs England, 3rd Test: संकट में इंग्लैंड, 228 रन पीछे और हाथ में केवल 4 विकेट?, 5वें दिन हारेंगे, एडिलेड में एशेज पर कब्जा रखेगा ऑस्ट्रेलिया?

क्रिकेटIND vs SA 5th T20I: 25 गेंद, 63 रन, 5 चौके और 5 छक्के?, 41 रन देकर 1 विकेट, सुपर हीरो हार्दिक पंड्या, डेल स्टेन ने कहा-सेलिब्रिटी का दर्जा हासिल किया

विश्वतोशाखाना भ्रष्टाचार मामलाः पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पत्नी बुशरा बीबी को 17-17 साल के कारावास की सजा, एक-एक करोड़ रुपये जुर्माना

बॉलीवुड चुस्कीYear-Ender 2025: बड़े सुपरस्टार, करोड़ों का बजट...फिर भी बुरी तरह फ्लॉप हुई ये फिल्में

क्राइम अलर्ट9 अप्रैल को 12 वर्षीय लड़की का अपहरण कर बलात्कार, 8 माह बाद 19 दिसंबर को बिहार के शिवहर से शिवम कुमार पटेल अरेस्ट

भारत अधिक खबरें

भारतमहाराष्ट्र चुनावः 23 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में मतदान, स्थानीय निकायों में खाली पड़े 143 सदस्य पदों पर पड़े रहे वोट, जानें लाइव

भारतArunachal Pradesh Local Body Election Results 2025: 186 जिला परिषद सदस्य सीट की गिनती जारी, ग्राम पंचायत में 6,227 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित

भारतDelhi Fog: दिल्ली में छाया घना कोहरा, 100 से ज्यादा उड़ानें रद्द, यात्रियों के लिए जारी एडवाइजरी

भारतहाथियों के झुंड के टकराई राजधानी एक्सप्रेस, पटरी से उतरे कई डब्बे; 8 हाथियों की मौत

भारतMP News: भोपाल में आज मेट्रो का शुभारंभ, जानें क्या है रूट और कितना होगा टिकट प्राइस