1930 के दशक में सादुल्ला ने असम का जो नुकसान किया उसकी भरपाई आज भी नहीं हो सकती: सरमा

By भाषा | Updated: July 28, 2021 20:50 IST2021-07-28T20:50:51+5:302021-07-28T20:50:51+5:30

Damage done by Sadulla to Assam in 1930s cannot be compensated even today: Sarma | 1930 के दशक में सादुल्ला ने असम का जो नुकसान किया उसकी भरपाई आज भी नहीं हो सकती: सरमा

1930 के दशक में सादुल्ला ने असम का जो नुकसान किया उसकी भरपाई आज भी नहीं हो सकती: सरमा

गुवाहाटी, 28 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्व सरमा ने बुधवार को दावा किया कि मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद सादुल्ला ने 1930 के दशक में राज्य का प्रधानमंत्री रहते हुए पहले दो साल के कार्यकाल में असम का जितना नुकसान किया उसकी भरपाई आज भी नहीं की जा सकती। उस समय ब्रिटिश भारत में असम सरकार के प्रमुख को प्रधानमंत्री कहा जाता था।

वर्ष 1947 में देश के आजाद होने बाद इस पद को समाप्त कर दिया गया था। मौलवी सईद सर मुहम्मद सादुल्ला एक अप्रैल 1937 से 19 सितंबर 1938 तक असम के पहले प्रधानमंत्री थे। सरमा ने कहा, “सादुल्ला 1937 से दो साल तक सत्ता में थे। उस दौरान उन्होंने जो फैसले लिये उसका खामियाजा आज तक भुगतना पड़ रहा है। अगर हम उस समय हमारे समुदाय को हुए नुकसान का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि उसकी भरपाई आज भी नहीं हो सकती।”

सरमा ने सादुल्ला के किसी विशेष फैसले का उल्लेख नहीं किया लेकिन उन्होंने सतही तौर पर सादुल्ला की उस नीति का हवाला दिया जिसके तहत अविभाजित बंगाल से आए प्रवासियों को असम की जमीन पर बसने और खेती करने की अनुमति दी गई थी। उस क्षेत्र की अधिकांश जनसंख्या मुस्लिम है।

द्विराष्ट्र सिद्धांत के समर्थक और असम को पूर्वी पाकिस्तान में मिलाने की वकालत करने वाले आल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता सादुल्ला 1937 से 1946 के बीच तीन बार असम के प्रधानमंत्री रहे थे। सरमा ने कहा, “इस साल के विधानसभा चुनाव के दौरान मैंने कहा था कि क्या होगा जब (एआईयूडीएफ अध्यक्ष बदरुद्दीन) अजमल सरकार बना लेंगे, मैंने सभ्यताओं के संघर्ष की बात की थी। इसकी नींव सादुल्ला के सत्ता में रहते डाली गई थी। दो सालों में जिस प्रकार उन्होंने (असम का) परिदृश्य बदल दिया, हम उसे आज तक ठीक नहीं कर पाए।”

अजमल धुबरी से सांसद हैं और आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष हैं जिसके असम के मुस्लिम बहुल क्षेत्र से 16 विधायक हैं। मुख्यमंत्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेस नेता तरुण राम फूकन की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे।

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