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जानिए सीआरपीएफ का गौरवशाली इतिहास, जांबाजी और बहादुरी के किस्से

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 15, 2019 17:34 IST

पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले में एक विस्फोटक कार से टक्कर मारा। इस हमले में 49 जवान शहीद हुए हैं...

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ठळक मुद्देकेंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत का सबसे बड़ा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैआजादी के बाद 28 दिसम्‍बर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया था।आज सीआरपीएफ में 246 बटालियन हैं

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) गृहमंत्रालय के अधीन सशस्त्र बल है। इसको कानून एवं व्यवस्था, विद्रोहियों से प्रतिकार व प्रचालन, नक्सल विरोधी कार्रवाई आदि में राज्यों को सहायता करने का दायित्व सौंपा गया है। आंतरिक सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल (अब केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) में से एक है। इसको 27 जुलाई 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था। क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस द्वारा भारत की तत्‍कालीन रियासतों में आंदोलनों एवं राजनीतिक अशांति तथा साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून एवं व्‍यवस्‍था बनाए रखने में लगातार सहायता करने की इच्‍छा के मद्देनजर, 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मद्रास संकल्‍प के मद्देनजर सीआरपीएफ की स्‍थापना की गई।

सीआरपीएफ का इतिहास

आजादी के बाद 28 दिसम्‍बर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया था। तत्‍कालीन गृह मंत्री सरदार बल्‍लभ भाई पटेल ने नव स्‍वतंत्र राष्‍ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस बल के लिए एक बहु आयामी भूमिका की कल्‍पना की थी।

1950 से पूर्व भुज, तत्‍कालीन पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्‍य संघ (पीईपीएसयू) तथा चंबल के बीहड़ों के सभी इलाकों द्वारा सीआरपीएफ की सैन्‍य टुकडि़यों के प्रदर्शन की सराहना की गई। भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान बल ने एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। 

आजादी के तुरंत बाद कच्‍छ, राजस्‍थान और सिंध सीमाओं में घुसपैठ और सीमा पार अपराधों की जांच के लिए सीआरपीएफ की टुकडि़यों को भेजा गया। तत्‍पश्‍चात पाकिस्‍तानी घुसपैठियों द्वारा शुरू किए गए हमलों के बाद इनको जम्‍मू-कश्‍मीर की पाकिस्‍तानी सीमा पर तैनात किया गया। भारत के हॉट स्प्रिंग (लदाख) पर पहली बार 21 अक्‍तूबर 1959 को चीनी हमले को सीआरपीएफ ने नाकाम किया। सीआरपीएफ के एक छोटे से गश्‍ती दल पर चीन द्वारा घात लगाकर हमला किया जिसमें बल के दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्‍च बलिदान दिया। उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्‍तूबर को पुलिस स्‍मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर सीआरपीएफ ने अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की। इस आक्रमण के दौरान सीआरपीएफ के 8 जवान शहीद हुए। पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर 1965 और 1971 में भारत पाक युद्ध में भी बल ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया।

भारत में अर्द्ध सैनिक बलों के इतिहास में पहली बार महिलाओं की 1 टुकड़ी सहित सीआरपीएफ की 13 कंपनियों को आतंवादियों से लड़ने के लिए भारतीय शांति सेना के साथ श्रीलंका में भेजा गया। इसके अलावा, संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति सेना के एक अंग के रूप में सीआरपीएफ के कर्मियों को हैती, नामीबीया, सोमालिय और मालद्वीव के लिए वहां की कानून और व्‍यवस्‍था की स्थिति से निपटने के लिए भेजा गया।

70 के दशक के पश्‍चात जब उग्रवादी तत्‍वों द्वारा त्रिपुरा और मणिपुर में शांति भांग की गई तो वहां सीआरपीएफ बटालियनों को तैनात किया गया था। इसी दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में भी अशांति थी। सीआरपीएफ की ताकत न केवल कानून और व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए बल्कि संचार तंत्र व्‍यवधान मुक्‍त रखने के लिए भी शामिल किया गया। पूर्वोत्‍तर में विद्रोह की स्थिति से निपटने के लिए इस बल की प्रतिबद्धता लगातार उच्‍च स्‍तर पर है। 80 के दशक से पहले पंजाब में जब आतंकवाद छाया हुआ था, तब राज्‍य सरकार ने बड़े स्‍तर पर सीआरपीएफ की तैनाती की मांग की थी।

आज सीआरपीएफ में 246 बटालियन हैं जिसमें 208 कार्यकारी बटालियन, 3 महिला बटालियन, 15 द्रुत कार्यबल बटालियन, 10 कोबरा बटालियन, 3 एनडीआरएफ बटालियन, 5 सिग्नल बटालियन, 1 विशेष कार्यसमूह और 1 संसद ड्यूटी ग्रुप शामिल हैं। 

समस्‍त भारत में सीआरपीएफ बल की तैनाती होती है, साथ ही साथ हर जगह इसके केन्‍द्र होते हैं। इसकी अद्धुत क्षमता के कारण, किसी भी शीघ्र आवश्‍यकता पड़ने वाली स्थितियों में सीआरपीएफ को बुलाया जाता है, चूंकि यह राज्‍य पुलिस के साथ सामंजस्‍यपूर्ण ढंग से काम करती है, इसलिए यह अनुकूल होती है; पिछले कई सालों से सीआरपीएफ ने लोगों और राज्‍य प्रशासन के द्वारा सबसे अधिक स्‍वीकार्य बल का दर्जा हासिल कर लिया है।

CRPF के कार्य 

भीड़ को नियंत्रित करना।दंगों पर नियंत्रण करना।आंतकियों को मार गिराने या उन्‍हे हटाने का ऑपरेशन करना।वामपंथी उग्रवाद से निपटना।हिंसक क्षेत्रों में चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्‍यवस्‍था को बनाने के लिए राज्‍य पुलिस के साथ समन्‍वय।अति विशिष्‍ट व्‍यक्तियों और महत्‍वपूर्ण प्रतिष्‍ठानों की सुरक्षा।पर्यावरण के हनन को रोकने पर निगरानी और स्‍थानीय वनस्‍पतियों और जीवों का संरक्षण करना।युद्धकाल के दौरान आक्रामक पूर्ण ढंग से लड़ना।प्राकृतिक आपदाओं के समय में बचाव और राहत कार्य करना।

कानून व व्‍यवस्‍था बनाएं रखने और उग्रवाद को खत्‍म करने के अलावा, पिछले कई वर्षों से सीआरपीएफ की भूमिका शांतिपूर्ण चुनाव करवाने में भी अह्म रही है। जम्‍मू और कश्‍मीर, बिहार और उत्‍तरपूर्व के राज्‍यों में चुनावों के दौरान, सीआरपीएफ की भूमिका सराहनीय और महत्‍वपूर्ण होती है। संसदीय चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान, सीआरपीएफ सुरक्षा व्यवस्था में बहुत विशेष ढंग से मुस्‍तैद रहती है।

सीआरपीएफ की महत्‍वपूर्ण भूमिकाओं में से एक सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका है जिस पर अमूमन हमारा ध्‍यान नहीं जाता है, वह है- केंद्र सरकार द्वारा स्‍थापित स्‍थलों जैसे- हवाईअड्डा, पुलों, पॉवरहाउस, दूरदर्शन केन्‍द्रों, सभी ऑल इंडिया रेडियो स्‍टेशनों, राज्‍यपालों के निवासस्‍थलों और मुख्‍यमंत्री आवासों की सुरक्षा करना। इसके अलावा सीआरपीएफ राष्‍ट्रीय बैंकों व अन्‍य सरकारी स्‍थलों पर भी सुरक्षा में तैनात रहती है। 

बल का 7.5 प्रतिशत हिस्‍सा, उत्‍तरी-पूर्व राज्‍यों, जम्‍मू और कश्‍मीर, बिहार व आंध्र प्रदेश में अतिविशिष्‍ट लोगों की सुरक्षा में तैनाती किया गया है जिसमें जम्‍मू-कश्‍मीर, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड, त्रिपुरा व मिजोरम के राज्‍यपाल, मुख्‍यमंत्री, मंत्री, सांसद जैसे अन्‍य विशिष्‍ट व्‍यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा, सीआरपीएफ, भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय व निवासस्‍थल तथा अन्‍य केंद्रीय मंत्रियों व गणमान्‍य व्‍यक्तियों के आवासस्‍थानों और कार्यालयों पर भी तैनाती रहती है ताकि उनकी सुरक्षा में कोई चूक न हो सकें।

फोर्स का 17.5 प्रतिशत हिस्‍सा, सचिवालयों, दूरदर्शन केन्‍द्रों, दूरभाष केन्‍द्रों, बैंकों, पनकीबिजली परियोजनाओं, जेल आदि व आंतकवाद प्रभावित क्षेत्रों में केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के महत्‍वपूर्ण प्रतिष्‍ठानों की रक्षा के लिए प्रतिनियुक्‍त किया गया है।

सीआरपीएफ के 10 कॉय, तीन संवेदनशील स्‍थानों, कृष्‍ण जन्‍मभूमि- शाही इदगाह मस्जिद कॉम्‍पलेक्‍स (मथुरा), राम जन्‍म भू‍मि-बाबरी मस्जिद (अयोध्‍या) और काशी विश्‍वनाथ मंदिर - ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी) पर तैनात रहते हैं। फोर्स के 4 कॉय, माता वैष्‍णो देवी मंदिर, कटरा, जम्‍मू कश्‍मीर में सुरक्षा के लिए मुश्‍तैद रहते हैं।

सुरक्षा गतिविधियां

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत का सबसे बड़ा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। इसका अतीत गौरवशाली रहा और इसका वर्तमान काफी सशक्‍त है। इसका इतिहास, असंख्‍य वीर गाथाओं से भरा पड़ा है जिसमें बल के कर्मियों के प्रेरणादायक और साहसपूर्ण कार्यों का ब्‍यौरा है। वर्तमान समय में, सीआरपीएफ पूरी दम लगाकर माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गुरिल्‍ला युद्ध में लगी हुई है। सीआरपीएफ के 10 बहादुर जवान, शहादत को प्राप्‍त हुए, जब 21 अक्‍टूबर को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में गश्‍त के दौरान, चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ कर ली थी। 

ऐसा ही कुछ सरदार पोस्‍ट कांड में हुआ, पाकिस्‍तानी सेना ने 9 अप्रैल 1965 को गुजरात के कच्‍छ के रेगिस्‍तान में सरदार पोस्‍ट पर तैनात सीआरपीएफ जवानों पर आक्रमण कर दिया; उस समय वहां सीआरपीएफ की दो कम्‍पनियां तैनात थी। पुलिस सेना की सबसे जबरदस्‍त लड़ाईयों में अब तक की सर्वश्रेष्‍ठ मुठभेड़ सरदार पोस्‍ट को माना जाता है। इसी प्रकार, सीआरपीएफ ने 13 दिसम्‍बर 2001 को भारतीय संसद में घुसे आंतकवादियों से मुठभेड़ की और जिनमें से वहां तैनात आंतरिक सुरक्षा कर्मियों में से एक महिला कर्मी मारी गई व सभी आंतकियों को मार गिराया गया। साथ ही 27 जुलाई 2005 को अयोध्‍या पर हुए आक्रमण में भी सीआरपीएफ की भूमिका सराहनीय रही।

2001 में, मंत्रियों के समूह की सिफारिश के आधार पर, सीआरपीएफ को देश के प्रमुख आंतरिक सुरक्षा बल के रूप में नामित किया गया था। वर्तमान में, फोर्स का एक तिहाई से अधिक हिस्‍सा, वामपंथी उग्रवाद को नियंत्रित करने के लिए दक्षिणपंथी अतिवादी प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया गया है। सीआरपीएफ की तैनाती और सक्रियता के कारण ही झारखंड के सारंदा जंगली क्षेत्र से नक्‍सली भागे, किसी समय में यह इलाका इन नक्‍सलियों के लिए प्रमुख अड्डा था। गश्‍त के दौरान ही, सीआरपीएफ कर्मियों ने शीर्ष प्रमुख माओवादी नेता किसनाजी को 2011 में मार गिराया और सारंडा (2011 में), माद (2012 में), कट-ऑफ क्षेत्र (2012 में), बुरहा पहाड़ (2012 में), सिलगर और पेडिया (2013 में) जैसे तथाकथित नक्‍सली इलाके को नक्‍सल मुक्‍त क्षेत्र बना दिया।

सीआरपीएफ ने देश में आई विभिन्‍न प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्यों को किया है; जैसे- ओडिया सुपर साईक्‍लोन (1999), गुजरात में भूकम्‍प (2001), सुनामी (2004) और जम्‍मू-कश्‍मीर में भूकम्‍प (2005)। सीआरपीएफ ने साबित कर दिखाया है कि यह, श्रीलंका (1987), हैती (1995), कोसोवो (2000) और लाइबेरिया (महिला दस्‍ता) जैसे; विभिन्‍न विदेशी संयुक्‍त राष्‍ट्र तैनाती के दौरान भी वीरतापूर्वक कार्य करती है।

अब तक पराक्रम को प्रदर्शित करने वाले, 01 जॉज क्रॉस, 03 किंग पीएमजी, 01 अशोक चक्र, 01 कीर्ति चक्र, 01 वीर चक्र, 12 शौर्य चक्र, 1 पद्म श्री, 49 पीपीएफएसएमजी, 185 पीपीएमजी, 1028 पीएमजी, 5 आईपीएमजी, 4 विशिष्‍ट सेवा मेडल, 1 युद्ध सेवा मेडल, 5 सेना मेडल, जीवन बचाने के लिए 91 वीएम पुलिस मेडल और 2 जीवन रक्षक पदक, सीआरपीएफ को प्राप्‍त हुए हैं।

चुनाव के दौरान सीआरपीएफ की भूमिका

सीआरपीएफ एक एजेंसी है, जिस पर सरकार के द्वारा पूरे देश में स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव करने का जिम्‍मा होता है। लोकसभा और विधानसभा, दोनों ही प्रकार के चुनाव में सीआरपीएफ को अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करना होता है। इस दौरान, सीआरपीएफ को पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रणाली को सुचारू रूप से कार्यान्वित करना होता है।

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