तिरुवनंतपुरम/कोच्चि, नौ जुलाई रीढ की हड्डी की असाधारण बीमारी से जूझ रहे एक बच्चे के इलाज के लिए ‘क्राउड फंडिंग’ के माध्यम से 18 करोड़ रुपये की राशि जुटाए जाने के कुछ ही दिन बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शुक्रवार को केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि वह इसपर लगने वाले कर की राशि माफ कर दे। वहीं केरल उच्च न्यायालय ने इस तरह से होने वाली क्राउड फंडिंग के खिलाफ विचार व्यक्त किया है।
अदालत ने कहा कि यूं ही किसी को इस तरह से धन जुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आयातित दवाओं को कर और सीमा शुल्क से छूट देने का अनुरोध किया है।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में विजयन ने राज्य के कन्नूर जिले के रहने वाले 18 महीने के मोहम्मद की समस्या से विस्तार में अवगत कराया है। मोहम्मद का स्पाईनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) का इलाज चल रहा है और इसकी दवाओं पर कर सहित करीब 18 करोड़ रुपये का खर्च आना है। एसएमए एक दुर्लभ किस्म की बीमारी है।
यह रेखांकित करते हुए कि एसएमए के इलाज में उपयोग होने वाली दवाएं ‘‘हद से ज्यादा महंगी’’ हैं और बच्चे के परिजन उसे खरीदने में अक्षम हैं, विजयन ने कहा कि इसपर 18 करोड़ रुपये का खर्च आने वाला है और इसका आयात अमेरिका से किया जाता है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्र ने पीटीआई/भाषा को बताया कि कर सहित दवा की कीमत कुछ 18 करोड़ रुपये पड़ने वाली है।
हाल ही में कर माफी के लिए पत्र लिखने वाले माकपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य एल्माराम करीम ने कहा कि दवा को आयात करने पर करीब 6.5 करोड़ रुपये का कर लगने वाला है जिसमें 23 प्रतिशत आयात कर और 12 प्रतिशत जीएसटी (माल एवं वस्तु कर) शामिल है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को मोदी को बताया कि केन्द्र सरकार ने हाल ही में एसएमए से पीड़ित मुंबई के पांच महीने के एक बच्चे को ऐसी छूट दी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप केन्द्रीय वित्त मंत्रालय को जीवन रक्षक दवा ‘जोल्गेन्स्मा’ के आयात पर लगने वाले सीमा शुल्क कर और जीएसटी नहीं लगाने की दिशा कदम उठाने का निर्देश दें।’’
इस दवा की खरीद विदेश से होनी है और इलाज करने वाली समिति ने राज्य सरकार से खरीद प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की है।
सोशल मीडिया पर मोहम्मद के इलाज के लिए पैसे जुटाने को ‘क्राउड फंडिग’ शुरू की गई और दुनिया भर से जरुरत भर की राशि महज एक सप्ताह में जमा कर ली गई।
इलाज समिति ने सोमवार को बताया कि इलाज के लक्ष्य से दान प्राप्त करने के लिए जो बैंक खाता खोला गया था उसमें 18 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गए हैं और लोगों से कहा गया है कि अब और धन जमा ना करें।
इसबीच, दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा लोगों से धन जुटाने (क्राउड फंडिंग) को लेकर केरल उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा कि क्या ऐसे लेन-देन पर उसका कोई नियंत्रण है या नहीं।
न्यायमूर्ति पी. बी. सुरेश कुमार ने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि यूं ही कोई भी ऐसे धन जमा करे। क्राउड फंडिंग के माध्यम से धन जमा कराने पर राज्य का कोई नियंत्रण है या नहीं? हमें पता होना चाहिए कि यह धन कहां जा रहा है।’’
अदालत एक ऑटोरिक्शा चालक आरिफ की याचिका पर विचार कर रही थी। आरिफ का छह महीने का बेटा एसएमए से पीड़ित है और उसके इलाज पर 18 करोड़ रुपये का खर्च आना है जिसमें वह अक्षम है।
अधिवक्ता पी. चन्द्रशेखर के माध्यम से दायर याचिका में आरिफ ने कहा कि उन्होंने आवश्यक दवाओं के आयात की अनुमति प्राप्त कर ली है, लेकिन वह उसकी कीमत के कारण दवा की एक डोज भी खरीदने में सक्षम नहीं हैं।
अदालत ने कहा कि वह क्राउड फंडिंग प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाना चाहती है, लेकिन वह चाहती है कि यह धन किसी व्यक्ति के खाते में जाने के स्थान पर सरकार के खाते में जाए, क्योंकि ऐसा हो सकता है कि वह व्यक्ति प्राप्त धन उस जरुरतमंद को ना दे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।