उचित जांच के बिना आपराधिक कानून को लागू नहीं किया जाना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: October 31, 2021 18:12 IST2021-10-31T18:12:30+5:302021-10-31T18:12:30+5:30

Criminal law should not be enforced without proper investigation: Supreme Court | उचित जांच के बिना आपराधिक कानून को लागू नहीं किया जाना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

उचित जांच के बिना आपराधिक कानून को लागू नहीं किया जाना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने एक कंपनी के निदेशक के खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज करते हुए कहा है कि केवल संदेह के आधार पर और तथ्यों की पर्याप्त जांच के बिना आपराधिक कानून को लागू नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि जब अपराध सहमति, मिलीभगत से किया जाता है या कंपनी के निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की ओर से उपेक्षा की वजह से होता है तो प्रतिनिधिक दायित्व बनता है। कानून में प्रतिनिधिक दायित्व एक कर्मचारी के कार्यों के परिणामस्वरूप एक नियोक्ता को सौंपी गई जिम्मेदारी है।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘यह लोक अधिकारी का कर्तव्य और जिम्मेदारी है कि वह जिम्मेदारीपूर्वक आगे बढ़े और सही तथ्यों का पता लगाए। कानूनी प्रावधानों और उनके लागू होने की स्थिति की व्यापक समझ के बिना कानून के निष्पादन का नतीजा यह हो सकता है कि एक निर्दोष व्यक्ति को मुकदमे का समाना करना पड़ सकता है।’’

समन के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि यह अदालत का कर्तव्य है कि वह यांत्रिक और नियमित तरीके से समन जारी न करे। पीठ ने 29 अक्टूबर के अपने फैसले में कहा, ‘‘मजिस्ट्रेट का यह कर्तव्य है कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करे और यह देखे कि क्या लगाए गए आरोपों और सबूतों के आधार पर संज्ञान लेने और आरोपी को तलब करने का प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं।’’

शीर्ष अदालत डायले डीसूजा द्वारा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने उनके खिलाफ मामला रद्द करने संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। न्याायालय ने कहा, ‘‘इसलिए उपरोक्त कारणों के आधार पर हम वर्तमान अपील की अनुमति देते हैं और समन जारी करने के आदेश और वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करते हैं।’’

राइटर सेफगार्ड प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक याचिकाकर्ता ने एनसीआर कॉरपोरेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ ‘‘स्वचालित टेलर मशीनों की सर्विसिंग और पुनःपूर्ति के लिए समझौता’’ शीर्षक से एक करार किया था। एनसीआर कॉरपोरेशन ने पहले भारतीय स्टेट बैंक के एटीएम के रखरखाव के लिए बैंक के साथ एक समझौता किया था।

19 फरवरी 2014 को श्रम प्रवर्तन अधिकारी (केंद्रीय) ने एसबीआई के एटीएम का निरीक्षण किया और बाद में एटीएम में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 और न्यूनतम मजदूरी (केंद्रीय) नियम, 1950 के प्रावधानों का पालन न करने का आरोप लगाते हुए एक नोटिस जारी किया। चार महीने से अधिक समय के बाद श्रम प्रवर्तन अधिकारी (केंद्रीय) ने याचिकाकर्ता और विनोद सिंह (मध्य प्रदेश इकाई के निदेशक) को सूचित किया कि उन्हें 14 अगस्त 2014 को अदालत में पेश होना जरूरी है।

14 अगस्त 2014 को श्रम प्रवर्तन अधिकारी (केंद्रीय) ने अधिनियम की धारा 22ए के तहत मध्य प्रदेश के सागर स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज की, जिन्होंने अपराध का संज्ञान लिया और याचिकाकर्ता विनोद सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया। याचिकाकर्ता ने बाद में शिकायत को खारिज करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

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