बिना देरी के सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार संवैधानिक अधिकार: केरल उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 16, 2021 14:58 IST2021-12-16T14:58:19+5:302021-12-16T14:58:19+5:30

Cremation in a dignified manner without delay is a constitutional right: Kerala High Court | बिना देरी के सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार संवैधानिक अधिकार: केरल उच्च न्यायालय

बिना देरी के सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार संवैधानिक अधिकार: केरल उच्च न्यायालय

कोच्चि,16 दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि मृत्यु के बाद भी व्यक्ति गरिमा और उचित बर्ताव का हकदार है और अप्राकृतिक मौत का मामला होने पर भी शव को जल्दी दफनाने में कानूनी प्रक्रिया बाधा नहीं बन सकती।

उच्च न्यायालय ने पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रात के वक्त पोस्टमॉर्टम करने के लिए पर्याप्त ढांचागत सुविधा मुहैया कराने के निर्देश राज्य को दिए है।

अदालत ने कहा कि आज कल अप्राकृतिक मौत के मामलों में मृतक के परिजन तथा विधायक,पंचायत अध्यक्ष और वार्ड सदस्य जैसे जनप्रतिनिधियों को जांच और पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस थाने और अस्पतालों के बाहर कतार में देखा जा सकता है, ताकि शव उन्हें जल्दी मिलें और वे उचित सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर सकें।

अदालत ने कहा कि पहले परिजन का शव मिलने में बाधा पोस्टमॉर्टम का वक्त होता था क्योंकि ‘‘अनंतकाल से’’ पोस्टमॉर्टम दिन के वक्त होते आ रहे हैं, क्योंकि ऐसा विश्वास था कि ऐसे काम रात के वक्त नहीं किए जा सकते।

अदालत ने यह भी कहा कि अप्राकृतिक मौत के मामले में जांच प्रक्रिया में भी देरी होती है क्योंकि ‘‘ पुलिस अधिकारी तत्काल नहीं पहुंच जाते ’’ और इसलिए अधिकृत अथवा वरिष्ठ अधिकारी इसे ‘‘काफी देर में’’ करता है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने 2015 में 24 घंटे पोस्टमॉर्टम की सुविधा लागू करने का एक आदेश जारी किया था और तिरुवनंतपुरम, अलाप्पुझा, कोट्टायम, त्रिशूर और कोझिकोड के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज में और कासरगोड में प्रायोगिक परियोजना के तौर पर जनरल हॉस्पिटल में भी रात में पोस्टमॉर्टम की मंजूरी दी गई थी।

अदालत ने कहा कि 2015 में आदेश जारी करने के बाद सरकार ने इसे वापस नहीं लिया, लेकिन वह अब भी कह रही है कि रात के वक्त पोस्टमॉर्टम के लिए ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं।

न्यायमूर्ति पी वी कुनीकृष्णन ने कहा कि अप्राकृतिक मौत होने पर कानूनी औपचारिकताएं तत्काल पूरी करना राज्य का कर्तव्य है और सरकार के अधिकारियों को मृतक के परिजनों को तत्काल शव सौंपना चाहिए।’’

उन्होंने कहा,‘‘यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार का हिस्सा है और यह सम्मान व्यक्ति के जीवित रहने तक ही नहीं बल्कि उसके निधन के बाद भी उसके साथ है। समाज को किसी व्यक्ति के निधन के बाद उसके प्रति दुर्व्यवहार की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।’’

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, स्वास्थ्य सेवा निदेशक और स्वास्थ्य विभाग को 2015 के आदेश को ‘‘तत्काल’’ लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाने और तिरुवनंतपुरम, अलाप्पुझा, कोट्टायम, त्रिशूर और कोझिकोड के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज में रात में पोस्टमॉर्टम की अनुमति देने का निर्देश दिया।

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Web Title: Cremation in a dignified manner without delay is a constitutional right: Kerala High Court

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