तिरुवनंतपुरम, 22 मार्च केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में शामिल दूसरी बड़ी पार्टी भाकपा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि वाम सरकार सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में दायर अपने हलफनामे पर ‘‘कायम’’ है। इस बयान पर भाजपा और कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
वहीं, माकपा ने दावा किया कि किसी न किसी की तरफ से जानबूझकर यह कोशिश की जा रही है कि सबरीमला को चुनाव के दौरान चर्चा का विषय बनाया जाए।
मुख्यमंत्री पी विजयन ने कोट्टायम में कहा कि कुछ लोग चुनाव के दौरान सबरीमला का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसे अभी उठाने की जरूरत नहीं है। अंतिम फैसले के बाद अन्य चीजों के बारे में सोचें।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने इस तीर्थस्थल पर श्रद्धालुओं की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए 1,487 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी।
भाकपा के प्रदेश सचिव कानम राजेंद्रन ने यहां एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सरकार पहले ही अपनी मूल याचिका पर अपनी स्थिति पर निर्णय ले चुकी है और ‘‘वही जारी रहेगा।’’
उन्होंने कहा कि हलफनामे में स्पष्ट है कि सरकार नहीं, बल्कि विशेषज्ञों की समिति और ‘हिंदू धर्म’ के विद्वानों को सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर अंतिम निर्णय लेना चाहिए।
वामपंथी नेता ने कहा कि सरकार को मंदिर के रीति-रिवाज और परंपराओं पर अंतिम निर्णय नहीं लेना है।
उनका बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी पार्टियां यहां यह जानने को उत्सुक हैं कि एलडीएफ सरकार उच्चतम न्यायालय में लंबित इस मामले में दायर अपने मौजूदा हलफनामे में किसी प्रकार का बदलाव करेगी या नहीं।
भाकपा नेता के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने ने कहा कि राजेंद्रन का यह कहना कि वाम सरकार के हलफनामे में इस मामले में कोई बदलाव नहीं होगा, इस पवित्र स्थल को पुन: हंगामे की जगह में तब्दील कर देगा।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुरलीधरन ने कहा कि राजेंद्रन का बयान सबरीमला के प्रति वामपंथी सरकार का ‘निष्ठाहीन’ रवैया दिखाता है।
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