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कोरोना वैक्सीनेशनः प्राइवेट अस्पताल में 250 रुपये में मिलेगी वैक्सीन, मोदी सरकार जल्द करेगी ऐलान!

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 27, 2021 20:32 IST

Covid Vaccination: जांच के लिए अध्ययनकर्ताओं ने स्वस्थ लोगों और कोविड-19 से संक्रमित लोगों के खून के नमूनों से इसकी पड़ताल की।

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ठळक मुद्देअध्ययनकर्ताओं ने कहा कि अधिकतम 55 मिनट में माइक्रोचिप सार्सकोव2 एन प्रोटीन का पता लगा लेती है।वैज्ञानिकों ने टिकट के आकार की एक खास चिप विकसित की है जो कोविड-19 की जांच को आसान बना देगी।खून के नमूने में सार्स कोव-2 के न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) का विश्लेषण करती है।

Covid Vaccination: देश भर में कोरोना वैक्सीन शुरू हो गया है। पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स को दी गई थी। एक मार्च से फिर से शुरू होगा।

वैक्सीनेशन के इस दूसरे चरण में लोगों को कोरोना वायरस रोधी टीका सरकारी केंद्रों पर नि:शुल्क लगाया जाएगा। वहीं, निजी क्लिनिकों एवं केंद्रों पर उन्हें इसके लिए शुल्क देना पड़ेगा। निजी अस्पताल कोविड-19 टीके की प्रति खुराक के लिए 250 रुपये तक का शुल्क ले सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया, 'टीके के लिए अधिकतम शुल्क 250 रुपये लिया जाएगा, जिसमें 150 रुपये टीके की कीमत और 100 रुपये सेवा शुल्क है।

साठ साल से अधिक आयु के लोगों तथा पहले से किसी बीमारी से पीड़ित 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के एक मार्च से कोविड-19 रोधी टीकाकरण की दिशा में देश के तैयार होने के साथ ही आधिकरिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि ये लाभार्थी सोमवार से कोविन प्लेटफॉर्म पर खुद अपना पंजीकरण कर सकेंगे।  

एक मार्च से शुरू

केंद्र ने बुधवार को कहा था कि 60 साल से अधिक उम्र का कोई व्यक्ति और पहले से किसी बीमारी से पीड़ित 45 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति एक मार्च से सरकारी केंद्रों में नि:शुल्क और कुछ निजी अस्पतालों में शुल्क देकर अपना टीकाकरण करा सकेगा।

केंद्र सरकार जल्द ही घोषणा कर सकती है

इस बीच खबर है कि प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन की कीमत 250 रुपये प्रति डोज हो सकती है। इसमें 100 रुपये सर्विस चार्ज शामिल है। सूत्रों के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन की कीमत 250 रुपये प्रति डोज होगी और इस बारे में केंद्र सरकार जल्द ही घोषणा कर सकती है, वैक्सीन का एक निश्चित मूल्य होगा, कोई कैपिंग नहीं होगी। बताया जा रहा है कि आज या कल तक प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन की कीमत की घोषणा सरकार कर सकती है।

यह व्यवस्था अगले आदेशों तक लागू रहेगी.'सरकार ने टीकाकरण करने वाले अस्पतालों की सूची भी आज जारी की। सूत्रों के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस बारे में सूचित कर दिया गया है. ऑन-साइट पंजीकरण करना होगा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि 'ऑन-साइट' पंजीकरण कराने की सुविधा उपलब्ध होगी, ताकि योग्य लाभार्थी अपनी पसंद के टीकाकरण केंद्र पर जाकर अपना पंजीकरण कराएं और टीका लगवाएं। टीके के लाभार्थी को-विन 2.0 पोर्टल डाउनलोड कर और आरोग्य सेतु आदि मोबाइल ऐप के जरिए पहले भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

कोविड-19 टीका प्रबंधन के अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष आर एस शर्मा ने कहा कि योग्य लाभार्थी एक मार्च से खुद ही कोविन प्लैटफॉर्म पर अपना पंजीकरण करा सकेंगे। ऐसा भी प्रावधान होगा कि वे पास के किसी सत्र स्थल पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सत्र स्थलों पर पंजीकरण कराने वालों की मदद के लिए स्वयंसेवी मौजूद रहेंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत सोमवार से होगी।

कोविड-19 की जांच के लिए खास चिप विकसित, फोन पर मिल जाता है परिणाम

वैज्ञानिकों ने टिकट के आकार की एक खास चिप विकसित की है जो कोविड-19 की जांच को आसान बना देगी और 55 मिनट से भी कम समय में स्मार्टफोन पर नतीजे मिल जाएंगे। अमेरिका में ‘राइस यूनिवर्सिटी’ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित माइक्रोफ्लूइडिक चिप उंगली से लिए गए खून के नमूने में सार्स कोव-2 के न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) का विश्लेषण करती है।

शोध पत्रिका ‘एसीएस सेंसर्स’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक चिप उंगली पर सुई चुभाकर लिए गए रक्त सीरम से सार्स कोव2 न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) प्रोटीन की सांद्रता को मापता है जो कि कोविड-19 का एक बायोमार्कर है। नैनोबीड्स चिप में सार्स कोव- 2 एन प्रोटीन को बांधता है और इसे एक विद्युत रासायनिक संवेदक तक पहुँचाता है जो बायोमार्कर की मात्रा का पता लगाता है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच की तुलना में जांच का यह तरीका बहुत आसान है।

अध्ययनकर्ता पीटर लिलीहोज ने कहा, ‘‘आप जांच से संबंधित समूची प्रक्रिया एक ही जगह पर कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करना भी आसान है। इसमें लैबोरेट्री की भी जरूरत नहीं होती।’’ विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पिछले साल मलेरिया का पता लगाने के लिए ‘माइक्रोनीडल पैच’ को विकसित किया था।

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