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कोरोना की मार के बीच दिल्ली में टेस्टिंग में भी कमी, दो हफ्तों में 27 प्रतिशत तक की आई कमी

By दीप्ती कुमारी | Updated: April 29, 2021 09:59 IST

दिल्ली में कोरना संक्रमण के टेस्ट में पिछले दो हफ्तों में 27 प्रतिशत तक की कमी आई है। 11 अप्रैल के बाद से एक लाख से भी कम टेस्ट रोज दिल्ली में हो रहे हैं।

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ठळक मुद्देदिल्ली में संक्रमण दर 32 प्रतिशत पर पिछले दो हफ्तों से टेस्ट में भारी कमीदिल्ली में बुधवार को ही कोरोना के 25,986 नए मामले आए, जबकि 81 हजार टेस्ट हुएदिल्ली में 11 अप्रैल को सबसे ज्यादा 1.14 लाख कोरोना सैंपल्स की जांच हुई थी

दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली इस समय कोरोना महामारी की सबसे घातक मार झेल रही है। इस बीच एक हैरान करने वाली जानकारी भी सामने आई है। दिल्ली में पिछले दो हफ्तों में रोजाना होने वाली टेस्टिंग में 27 प्रतिशत तक की कमी आई है। ये हालात उस समय है जब दिल्ली में संक्रमण दर करीब 32 प्रतिशत है। इसके मायने ये हुए कि दिल्ली में टेस्ट में हर तीसरा शख्स कोरोना पॉजिटिव पाया जा रहा है।   

दिल्ली में 24 घंटों में कोरोना के 25 हजार से ज्यादा नए मामले

दिल्ली में बुधवार को ही कोरोना के 25,986 नए मामले सामने आए और 368 लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दिल्ली में कोरोना के ये नए मामले 81,829 नमूनों की जांच के बाद पाए गए। इसमें 55,702 आरटी-पीसीआर टेस्ट और 26,127 रैपिड एंटीजन टेस्ट किए गए थे।

दिल्ली में स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों के अनुसार 11 अप्रैल को सबसे ज्यादा 1.14 लाख कोरोना सैंपल्स की जांच हुई थी और अब तक यह आकड़ा 1 लाख से नीचे है। वहीं दो हफ्तों की औसत टेस्टिंग संख्या में भी कमी आई है। अप्रैल के दूसरे हफ्ते में दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 99,460 टेस्ट करवाए गए थे।

 वहीं  अप्रैल के तीसरे और चौथे हफ्ते में यह घटकर 76,195 और 73,027 हो गया। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे समय में जब कोरोना सबसे खतरनाक स्तर पर है, टेस्टिंग में कमी नहीं होनी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने की जरूरत है ताकि  संक्रमितों की समय से पहचान की जा सके और उन्हें आइसोलेट कर उनका इलाज किया जा सके।

दिल्ली में नहीं हो रही है सैंपल्स की होम कलेक्शन!

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार ग्रीन पार्क के रहने वाले सुमन कुमार ने बताया कि मैं दो दिनों से सभी लैब्स में होम सैंपल कलेक्शन के लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है बल्कि बहुत सारे लैब्स और अस्पताल तो कॉल उठा भी नहीं रहे हैं।

आपको बता दें कि देश के  सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा रहा है। वहीं प्राइवेट लैब्स इसके लिए 800 रुपए ले रहे हैं और घर आकर सैंपल कलेक्शन करने  पर 400 रूपए ज्यादा लग रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में प्राइवेट लैब्स के खिलाफ कई ऐसी शिकायतें आई हैं कि वे घर से सैंपल का कलेक्शन नहीं कर रहे हैं। इसके लिए प्राइवेट लैब्स स्टाफ की कमी का हवाला दे रहे हैं। साथ ही टेस्ट के नतीजे भी देर से दिए जा रहे हैं । प्राइवेट लैब्स का ये भी कहना है कि उनके ऊपर पहले से ही बोझ है और इसलिए नतीजों में देरी हो रही है।

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