नयी दिल्ली, 21 मई दिल्ली सरकार और मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) ने दिल्ली उच्च न्यायाल को शुक्रवार को आश्वासन दिया कि अगर कोरोना वायरस संक्रमण के मामले फिर से बढ़ते हैं तो तंत्रिका संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) समस्याओं से पीड़ित मरीजों के लिए संस्थान के कोविड केंद्र में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
यह आश्वासन तब दिया गया जब न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि अगर तीसरी लहर आती है, “जैसा सबको डर है” तो बिस्तरों की संख्या मौजूदा 60 बिस्तरों से बढ़ाई जानी चाहिए ताकि किसी भी मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने के अनुरोध के साथ अदालत न आना पड़े।
दिल्ली सरकार की तरफ से उसके अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण और इहबास का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता तुषार सन्नू ने कहा कि मामले बढ़ने की सूरत में, बिस्तरों की संख्या मौजूदा 60 से बढ़ाकर 80 कर दी जाएगी।
सन्नू ने अदालत को यह भी बताया कि वर्तमान में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि संस्थान के कोविड केंद्र में अभी महज आठ मरीज भर्ती हैं।
यह केंद्र उस याचिका के बाद बनाया गया जिसमें इहबास में भर्ती एक मरीज की ओर से दावा किया गया था कि उसे कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद बाहर जाने को कहा गया था।
याचिका पर इससे पहले की सुनवाई के दौरान, अदालत को पता चला कि इहबास में 236 बिस्तर हैं जिनमें से केवल 50 बिस्तरों पर मानसिक या तंत्रिका संबंधी विकारों से पीड़ित मरीजों को रखा गया है और शेष रिक्त पड़े हैं।
अदालत ने फिर सात मई को दिल्ली सरकार को इहबास में कोविड केंद्र बनाने और तत्काल उसका संचालन शुरू करने के प्रयास करने का निर्देश दिया था जिसके बाद 60 बिस्तरों वाला एक केंद्र बनाया गया।
दिल्ली सरकार और इहबास की तरफ से शुक्रवार को दिए गए आश्वासन के मद्देनजर उच्च न्यायालय ने याचिका का निस्तारण किया।
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