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न्यायालय रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना शुरू करने की याचिका पर शुक्रवार को फैसला करेगा

By भाषा | Updated: December 17, 2020 16:19 IST

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नयी दिल्ली, 17 दिसंबर उच्चतम न्यायालय कॉमिक आर्टिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट के कारण आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को फैसला करेगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि तनेजा के खिलाफ कानून के छात्र आदित्य कश्यप की याचिका को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपनी मंजूरी दी है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा ने शीर्ष अदालत को बताया कि ट्वीट में मामले के गुण-दोष पर अंशमात्र भी चर्चा नहीं की गयी बल्कि न्यायालय की कार्यवाही को सनसनीखेज बनाया गया।

अधिवक्ता ने कहा कि हमारे पास अटॉर्नी जनरल की स्पष्ट राय है कि यहां अवमानना का मामला बनता है। उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय है कि न्यायपालिका के प्रति लोगों के भरोसे को खत्म करने के मकसद से इस तरह के ट्वीट किए गए।

शीर्ष अदालत शुक्रवार को फैसला सुनाएगी कि क्या तनेजा के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करनी चाहिए या नहीं ।

वेणुगोपाल ने तनेजा के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए याचिका पर कश्यप को अपनी सहमति दे दी थी। वेणुगोपाल ने कहा था, ‘‘मैं मानता हूं कि कार्टून के साथ जुड़े प्रत्येक ट्वीट उच्चतम न्यायालय की अवमानना करने वाले थे। इसलिए मैं अदालत की अवमानना कानून 1971 के तहत कार्यवाही शुरू करने पर अपनी सहमति प्रदान करता हूं।’’

कश्यप ने अधिवक्ता नामित सक्सेना के आध्यम से दायर याचिका में कहा है कि तनेजा द्वारा तस्वीरों के साथ पोस्ट किये गये तीन ट्वीट के आधार पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही याचिका दायर करने के लिये पांच दिसंबर को उन्हें अटार्नी जनरल से लिखित सहमति मिल गयी थी। ये ट्वीट कथित रूप से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और उनके फैसलों के प्रति घृणित, अपमानजनक और जानबूझ कर आक्षेप लगाने वाले थे।

याचिका में कहा गया कि तनेजा की ये पोस्ट वायरल हुयीं और न्यायपालिका की संस्था पर हमला करने वालों ने इसे खूब साझा किया।

याचिका के अनुसार तनेजा सोशल मीडिया को प्रभावी करने वाली हैं और उनके विभिन्न मंचों पर हजारों फालोअर्स हैं।

याचिका में तनेजा को सोशल मीडिया पर ऐसी अपमानजनक पोस्ट प्रकाशित करने से रोका जाये जो शीर्ष अदालत को बदनाम करते हों और उसकी सत्ता को कम करते हों।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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