नैतिकता संहिता के अनुपालन से जुड़े आईटी नियमों के एक हिस्से के क्रियान्वयन पर अदालत की रोक

By भाषा | Updated: August 15, 2021 01:31 IST2021-08-15T01:31:25+5:302021-08-15T01:31:25+5:30

Court stays implementation of a part of IT rules related to compliance with the Code of Ethics | नैतिकता संहिता के अनुपालन से जुड़े आईटी नियमों के एक हिस्से के क्रियान्वयन पर अदालत की रोक

नैतिकता संहिता के अनुपालन से जुड़े आईटी नियमों के एक हिस्से के क्रियान्वयन पर अदालत की रोक

मुंबई, 14 अगस्त असहमति को लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने डिजिटल मीडिया के लिए नैतिकता संहिता के अनुपालन से जुड़े नये सूचना प्रौद्योगिकी नियमों, 2021 की धारा 9 (1) और 9 (3) के क्रियान्वयन पर शनिवार को अंतरिम रोक लगा दी।

नये नियम के प्रावधान 9 के उप-प्रावधानों 1 और 3 के संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि नैतिकता संहिता का इस तरह का अनिवार्य अनुपालन याचिकाकर्ताओं को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।

पीठ ने कहा कि ऐसी प्रतीत होता है कि ये धाराएं संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत प्रदत अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन कर रही हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में असहमति का होना महत्वपूर्ण है... राज्य में सुशासन के लिए देश में जनसेवा में जुटे लोगों की स्वस्थ्य आलोचना/समीक्षा होनी चाहिए, ताकि ढांचागत विकास हो सके, लेकिन नये नियमों के लागू होने के बाद, किसी को भी ऐसे किसी व्यक्ति की आलोचना करने से पहले दोबार सोचना पढ़ेगा, फिर चाहे किसी लेखक/संपादक/प्रकाशक के पास इसके लिए उचित कारण ही क्यों ना हो।’’

पीठ ने कहा कि नियम के तहत प्रस्तावित समिति अगर ऐसे किसी व्यक्ति की आलोचना को मान्यता/मंजूरी नहीं देती है तो आलोचना करने वाले व्यक्ति को सजा दी जा सकती है।

पीठ ने यह भी कहा कि धारा 9 खुद ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के दायरे से बाहर जाती है।

उच्च न्यायालय ने आदेश पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। दरअसल, केंद्र ने अपील दायर करने के लिए आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।

हालांकि, अदालत ने आईटी नियमों की धारा 14 और 16 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो एक अंतर-मंत्रालयी समिति के गठन और ऐसी परिस्थिति में सामग्री (कंटेंट) पर रोक लगाने से संबद्ध है।

कानूनी विषयों के समाचार पोर्टल द लीफलेट और पत्रकार निखिल वागले ने याचिकाएं दायर कर नये नियमों को चुनौती देते हुए कहा था कि संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर इनका गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को पीठ ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि 2009 में प्रभावी हुए मौजूदा आईटी नियमों को निष्प्रभावी किये बगैर हाल में अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों,2021 को लाने की क्या जरूरत थी।

केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने दलील दी थी कि ‘फर्जी खबरों’ के प्रसार पर रोक लगाने के लिए नये नियमों को लाने की जरूरत पड़ी।

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Web Title: Court stays implementation of a part of IT rules related to compliance with the Code of Ethics

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