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ब्रिटेन से आए परिवार को अदालत ने गृह पृथक-वास में भेजा

By भाषा | Updated: February 24, 2021 15:44 IST

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नयी दिल्ली, 24 फरवरी ब्रिटेन से लौटने के बाद कोविड-19 जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने के बाद भी सात दिन के संस्थागत पृथक-वास में रह चुके एक परिवार के चार सदस्यों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सात दिन के गृह पृथक-वास में भेज दिया।

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार के दिशा निर्देशों में विरोधाभास था।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यह निर्देश जारी करते हुए कहा कि ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के पृथक-वास के बारे में “विरोधाभासी” अधिसूचनाओं में “स्पष्टता नहीं थी।”

अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अपनी वेबसाइट पर मानक संचालन प्रक्रिया प्रदर्शित करे ताकि यात्रियों को असमंजस की स्थिति का सामना नहीं करना पड़े।

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों में विरोधाभास के मद्देनजर यह निर्देश जारी किया गया।

केंद्र सरकार ने कहा कि दिशा निर्देशों के अनुसार, ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों की जांच में यदि कोविड-19 की पुष्टि नहीं होती है तो उन्हें केवल 14 दिन के गृह पृथक-वास में रहना होगा और संस्थागत पृथक-वास जरूरी नहीं है।

वहीं, दिल्ली सरकार ने कहा कि 29 जनवरी को केंद्र सरकार की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, कोविड-19 के मरीज के पास बैठने वाले प्रत्येक यात्री को संस्थागत पृथक-वास में जाना होता है।

अदालत ने कहा, “यह सभी अधिसूचनाएँ विरोधाभासी हैं और स्पष्ट नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं यही कि केंद्र सरकार की ओर से 29 जनवरी को जारी मानक संचालन प्रक्रिया लागू है या नहीं।”

अदालत ने कहा, “चूंकि मानक संचालन प्रकिया स्पष्ट नहीं है और याचिकाकर्ताओं (परिवार) में 10 वर्ष से कम उम्र के दो नाबालिग बच्चे हैं इसलिए वह संस्थागत पृथक-वास की बजाय गृह पृथक-वास में रहेंगे। उन्हें पृथक-वास के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा।”

याचिका में कहा गया था कि ब्रिटेन में विमान में सवार होने से पहले परिवार ने कोविड-19 जांच कराई थी और उन्हें उड़ान के लिए ‘फिट’ होने का प्रमाण पत्र दिया गया था।

दिल्ली आने के बाद उनकी दोबारा जांच हुई जिसमें कोविड-19 की पुष्टि नहीं हुई। इसके बावजूद उन्हें उनके खर्च पर पांच सितारा होटल में संस्थागत पृथक-वास में रखा गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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