न्यायालय ने उन दोषियों को जमानत देने के बारे में सुझाव मांगे, जिनकी अपील काफी समय से लंबित है

By भाषा | Updated: July 26, 2021 22:32 IST2021-07-26T22:32:40+5:302021-07-26T22:32:40+5:30

Court seeks suggestions regarding grant of bail to those convicts whose appeal is pending for a long time | न्यायालय ने उन दोषियों को जमानत देने के बारे में सुझाव मांगे, जिनकी अपील काफी समय से लंबित है

न्यायालय ने उन दोषियों को जमानत देने के बारे में सुझाव मांगे, जिनकी अपील काफी समय से लंबित है

नयी दिल्ली, 26 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से लंबे समय से जेल में बंद उन दोषियों को जमानत देने के मानक निर्धारित करने की संभावना पर सुझाव मांगे, जिनकी सजा के खिलाफ अपील पर उच्च न्यायालय में काफी समय से कोई सुनवाई नहीं हुई है।

शीर्ष अदालत जघन्य अपराधों को अंजाम देने वाले दोषियों की 18 आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। इन अपीलों में इस आधार पर जमानत की मांगी गई है कि वे सात या अधिक साल जेल में बिता चुके हैं और उन्हें जमानत दी जानी चाहिये क्योंकि सजा के खिलाफ उनकी अपीलों पर लंबे समय से उच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हुई है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, “हमें (दोषियों को जमानत देने के बारे में) कुछ मानदंड निर्धारित करने पड़ सकते हैं। हो सकता है कि हम इस समय ज्यादा सोच रहे हों।”

न्यायमूर्ति गुप्ता ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की व्यवस्था का उल्लेख किया और कहा कि अगर जेल में बंद दोषियों की सजा के खिलाफ अपील पांच साल तक उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए नहीं आती है, तो आमतौर पर उन्हें जमानत दे दी जाती है।

पीठ ने दोषियों की अपीलों पर सुनवाई किए बिना उन्हें निरंतर कैद में रखे जाने पर ध्यान देते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद को उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से परामर्श लेने और ऐसे मामलों में जमानत देने के लिए मानदंड तैयार करने पर तीन सप्ताह के भीतर सुझाव देने को कहा। .

प्रसाद ने एक ऐसे मामले का जिक्र किया, जिसमें एक व्यक्ति को फिरौती के लिये आठ साल के बच्चे का अपहरण कर बेरहमी से मारने के लिए दोषी ठहराया गया था। प्रसाद ने कहा कि कुछ मामलों में अपराध जघन्य और क्रूर होते हैं और जमानत देने के बजाय अपील पर सुनवाई तेज की जा सकती है।

वकील विष्णु शंकर जैन ने भी कहा कि जघन्य अपराधों में दोषियों के खिलाफ अपील पर सुनवाई तेज की जा सकती है।

पीठ ने कहा, ''हम अपीलों पर सुनवाई में तेजी कैसे ला सकते हैं।''

पीठ ने कहा कि ऐसे मामले काफी समय से लंबित हैं।

शीर्ष अदालत ने मामले को तीन सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए संकेत दिया कि वह ऐसे मामलों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।

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