बाढ़ प्रभावित रैंणी के ​लोगों को मुआवजा भुगतान पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: August 11, 2021 23:58 IST2021-08-11T23:58:12+5:302021-08-11T23:58:12+5:30

Court seeks response from government on compensation payment to flood-affected Raini people | बाढ़ प्रभावित रैंणी के ​लोगों को मुआवजा भुगतान पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा

बाढ़ प्रभावित रैंणी के ​लोगों को मुआवजा भुगतान पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा

नैनीताल, 11 अगस्त उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार से इस साल फरवरी में आई बाढ़ से प्रभावित रैंणी गांव के लोगों को मुआवजे के भुगतान पर आठ सितंबर तक विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान तथा न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने त्रासदी के पीडितों को मुआवजे का भुगतान न होने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से जवाब मांगा।

अल्मोडा के एक निवासी ने उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में कहा है कि फरवरी में आई बाढ़ ने बहुत लोगों की जान ले ली लेकिन राज्य सरकार द्वारा अब तक उनके परिवारों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने क्षेत्र में काम कर रहे नेपाली मूल के श्रमिकों सहित गांव के श्रमिकों को मुआवजा देने के लिए कोई नियम नहीं बनाए।

इससे पहले, राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि आपदा से प्रभावित 204 लोगों में से 120 को मुआवजा दिया जा चुका है ।

जवाब का संज्ञान लेते हुए अदालत ने सरकार से आपदा में उन घायलों और मृतकों के परिवारों की दुर्दशा के बारे में पूछा जिन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है।

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि सरकार के पास अब तक ऐसी कोई प्रणाली नहीं है जो आपदा के आने से पहले कोई संकेत दे सके। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा अब तक उच्च हिमालयी क्षेत्रों की निगरानी के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं ।

वर्ष 2014 की एक रिपोर्ट में रवि चोपडा समिति ने कहा था कि उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में कई अनियमितताएं हैं। उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊँचाई पर मौसम पूर्वानुमान उपकरण नहीं हैं और राज्य के ऊँचाई वाले स्थानों में रिमोट सेंसिंग उपकरणों ने काम करना शुरू नहीं किया है जिसकी वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की सूचना उपलब्ध नहीं हो पाती।

याचिका में यह भी कहा गया है कि पनबिजली परियोजनाओं के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कर्मचारियों को सुरक्षा के नाम पर हेल्मेट और वेस्ट जैसे न्यूनतम उपकरण दिए जाते हैं और आपदा से निपटने के लिए उन्हें कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि आपदा के बाद कंपनी द्वारा ऋषिगंगा परियोजना का मानचित्र नहीं उपलब्ध कराया गया जिसके कारण राहत और बचाव कार्य में काफी परेशानियां आईं। इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की जानी चाहिए।

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Web Title: Court seeks response from government on compensation payment to flood-affected Raini people

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