न्यायालय ने गुजारा भत्ते और निर्वाह धन के लिये समान आधार के लिये याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब

By भाषा | Updated: December 16, 2020 17:04 IST2020-12-16T17:04:18+5:302020-12-16T17:04:18+5:30

Court seeks response from Center on plea for equal allowance for maintenance and subsistence money | न्यायालय ने गुजारा भत्ते और निर्वाह धन के लिये समान आधार के लिये याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब

न्यायालय ने गुजारा भत्ते और निर्वाह धन के लिये समान आधार के लिये याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब

नयी दिल्ली, 16 दिसिंबर उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक विवादों से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिये लैंगिक और धर्म के आधार पर भेदभाव के बगैर ही गुजारा भत्ता या निर्वाह धन निर्धारित करने के लिये समान आधार प्रतिपादित करने के लिये दायर जनहित याचिका पर बुधवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विधि एवं न्‍याय मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी किये।

पीठ ने उपाध्याय की ओर से पेश हुई वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की दलील सुनी और कहा, ‘‘ हम पूरी सावधानी के साथ नोटिस जारी कर रहे हैं।’’

याचिका में रखरखाव और गुजारा भत्ता देने से जुड़ी प्रचलित विसंगतियों को दूर करने और उसे धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के बिना सभी नागरिकों के लिए एक समान बनाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

याचिका में कहा गया कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद केन्द्र सरकार सभी नागरिकों के लिये गुजारा भत्ता और निर्वाह धन के आधारों में व्याप्त विसंगतियां दूर करने के लिये आवश्यक कदम उठाने और लैंगिक, धार्मिक भेदभाव के बिना गुजारा भत्ता दिलाने में विफल रही है।

याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि धर्म लैंगिक आधार पर अंतर कर सकता है लेकिन हमारा संविधान महिलाओं के साथ अलग तरीके के व्यवहार की अनुमति नहीं देगा।

मीनाक्षी न्यायालय के उस सवाल का जवाब दे रही थीं जिसमें उनसे गुजारा भत्ता और निर्वाह धन से संबंधित मामलों में हिन्दु और मुस्लिम महिला के बीच तुलना को न्यायोचित ठहराया जाये।

उन्होंने संविधान के प्रावधानों का जिक्र करते हुये कहा कि सरकार इस मसले पर विशेष कानून बना सकती है।

उन्होंने कहा कि लैंगिक अधिकारों का मामला सामने आने पर शीर्ष अदालत ने इस संबंध में आदेश पारित किये हैं।

पीठ ने उनके कथन का संज्ञान लेते हुये कहा, ‘‘हमने जो किया है और जो नहीं किया है, उसके प्रति हम सचेत हैं। हमारा सीधा कानून का सवाल है । हम एक धर्म विशेष में स्वीकार्य तलाक के आधारों के बारे में बात कर रहे हैं।’’

पीठ ने कैथॉलिक चर्च के मामले में अपने फैसले का जिक्र किया और पूछा कि अगर राज्य संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में प्रदत्त समता और लैंगिक न्याय के मौलिक अधिकारों को लागू करते हैं तो क्या ऐसा करना पक्षपातपूर्ण होगा ।

मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि सरकार को व्यक्ति के अधिकारों और गरिमा की रक्षा सुनिश्चित करनी होगी। अधिकारों और गरिमा का हनन होने की स्थिति में राज्य को इसमे हस्तक्षेप करना होगा।

अंत में पीठ ने कहा कि वह इस मामले में केन्द का जवाब मांग रही है। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया।

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Web Title: Court seeks response from Center on plea for equal allowance for maintenance and subsistence money

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