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न्यायालय ने कोविड से जान गंवाने वालों के परिजनों के लिये मुआवजे से जुड़ी याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

By भाषा | Updated: May 24, 2021 20:11 IST

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नयी दिल्ली, 24 मई उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केन्द्र सरकार से सोमवार को जवाब मांगा और कहा कि घातक वायरस से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति अपनाई जाए।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने केन्द्र को कोविड-19 से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देशों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि इसके लिये समान नीति अपनाई जाए।

केंद्र की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने निर्देश लेने और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12(3) योजना तथा मुआवजे के संदर्भ में गृह मंत्रालय के आठ अप्रैल 2015 के एक पत्र के साथ इस संदर्भ में सभी प्रासंगिक सामग्री लाने के लिये अदालत से वक्त मांगा।

पीठ ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 11 जून तय करते हुए कहा, “कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की मौत के संदर्भ में मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने की नीतियों या दिशानिर्देशों को भी आईसीएमआर द्वारा जारी दिशानिर्देश के साथ रिकॉर्ड में लाया जा सकता है। अनुरोध के मुताबिक अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिये 10 दिन का वक्त दिया जाता है।”

शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में केन्द्र तथा राज्यों को 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समान नीति अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा कि जब तक कोई आधिकारिक दस्तावेज या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति नहीं होगी, जिसमें कहा गया हो कि मृत्यु का कारण कोविड था, तब तक मृतक के परिवार वाले किसी भी योजना के तहत, अगर ऐसी कोई है, मुआवजे का दावा नहीं कर पाएंगे।

न्यायमूर्ति शाह ने भाटी से पूछा कि क्या मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोई समान नीति है क्योंकि मृत्यु की कई स्थितियां हैं, जहां कारण कोविड नहीं बताया गया है।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी कह रहे हैं कि वे आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, “तो आप (केंद्र) हमारे समक्ष आईसीएमआर का दिशानिर्देश प्रस्तुत करें और हमें कोविड-19 से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने पर किसी भी समान नीति के बारे में बताएं।”

न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि कई मामलों में मौत फेफड़ों के संक्रमण या हृदय की समस्या के कारण होती है लेकिन हो सकता है कि यह कोविड-19 के कारण हुआ हो और मृत्यु प्रमाण पत्र में इसका उल्लेख नहीं होता है।

पीठ ने कहा, “कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को, यदि कोई मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था होती है तो, दर-दर भटकना पड़ेगा। यह परिवार के लिए उचित नहीं है क्योंकि मौत का कारण अक्सर अलग बताया जाता है जबकि मौत वास्तव में कोविड के कारण हुई होती है।”

सुनवाई की शुरुआत में, अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 12 (iii) के तहत, प्रत्येक परिवार जिसके सदस्य की आपदा के कारण मृत्यु हुई है, वह चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि का हकदार है।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने अधिनियम की धारा 12(3) को ध्यान में रखते हुए आठ अप्रैल 2015 को एक आदेश जारी किया था जिसके तहत राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से मानदंडों और सहायता की एक संशोधित सूची जारी की गई थी।

बंसल ने कहा कि क्योंकि कोविड-19 को एक आपदा घोषित किया गया है ऐसे में उपरोक्त आदेश के तहत ऐसे प्रत्येक परिवार को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलनी चाहिए जिसके परिवार के सदस्य की मौत कोविड से हुई है।

देश में एक दिन में कोविड-19 के 2,22,315 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,67,52,447 हो गई। पिछले 38 दिनों में एक दिन में सामने आए संक्रमण के ये सबसे कम नए मामले हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में संक्रमण से 4,454 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 3,03,720 हो गई।

आंकड़ों के अनुसार, देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में भी गिरावट आई है और अभी 27,20,716 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 10.17 प्रतिशत है।

देश में अब तक 2,37,28,011 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर पर स्वस्थ होने की दर 88.69 प्रतिशत है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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