अदालत ने उपहार अग्निकांड में सबूतों के छेड़छाड़ मामले में अंसल बंधुओं की याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: December 15, 2021 17:44 IST2021-12-15T17:44:27+5:302021-12-15T17:44:27+5:30

Court seeks police response on Ansal brothers' plea in Uphaar fire case tampering of evidence | अदालत ने उपहार अग्निकांड में सबूतों के छेड़छाड़ मामले में अंसल बंधुओं की याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा

अदालत ने उपहार अग्निकांड में सबूतों के छेड़छाड़ मामले में अंसल बंधुओं की याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपहार सिनेमा अग्निकांड के सिलसिले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के अपराध में मिली सात साल की कैद की सजा निलंबित करने की रीयल एस्टेट कारोबारियों सुशील और गोपाल अंसल की याचिकाओं पर बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। इस अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गयी थी।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने इन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और शिकायतकर्ता एसोसिएशन ऑफ विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रैजेडी (एवीयूटी) से भी जवाब मांगा।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने तीन दिसंबर को सबूतों के साथ छेड़छाड़ मामले दोषसिद्धि एवं कैद की सजा निलंबित करने की अंसल बंधुओं की अर्जियां खारिज कर दी थीं और उन्हें जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया था। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने इन दोनों को सबूतों के साथ छेड़छाड़ मामले उन्हें दोषी करार दिया तथा सजा सुनायी थी ।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सत्र अदालत के आदेश की आलोचना की और कहा कि सात साल की कैद अधिकतम सजा से भी ज्यादा है ।

उन्होंने कहा कि जो सजा दी गयी उसकी ‘गलत कानूनी बुनियाद’ है तथा मुख्य मामले में भी उच्चतम न्याायालय ने याचिकाकर्ताओं को दोषी करार देकर महज दो साल की कैद की सजा सुनायी थी और उसी ने बाद में जेल में याचिकाकर्ताओं द्वारा गुजारे गये समय का ध्यान में रखते हुए 30-30 करोड़ रूपये का जुर्माना भरने पर उन्हें रिहा कर दिया था।

सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के विरूद्ध अपील पर फैसला आ जाने तक सजा निलंबित करने की अंसल बंधुओं की अर्जी खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि यह मामला सबसे गंभीर प्रकार में एक है तथा ऐसा जान पड़ता है कि इंसाफ के मार्ग में दखल देने की मंशा से सोची -समझी मंशा से यह अपराध किया गया।

सत्र अदालत ने इस मामले में अदालत के पूर्व कर्मी दिनेश चंद्र शर्मा और दो अन्य -- पी पी बतरा एवं अनुप सिंह की सात साल की कैद की सजा भी निलंबित करने से इनकार कर दिया था।

सबूतों के साथ छेड़छाड़ का मामला 20 जुलाई , 2002को सामने आया था और शर्मा के विरूद्ध विभागीय जांच शुरू की गयी एवं उन्हें निलंबित कर दिया था। शर्मा को 25 जून 2004 को बर्खास्त कर दिया गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर यह मामला दर्ज किया गया था। उच्च न्यायालय ने एवीयूटी की अध्यक्ष कृष्णमूर्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था।

उपहार सिनेमाघर में 13 जून, 1997 के दिन ‘बोर्डर’ फिल्म के प्रदर्शन के दौरान आग लगी थी और 59 लोगों की जान चली गयी थी।

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Web Title: Court seeks police response on Ansal brothers' plea in Uphaar fire case tampering of evidence

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