चेन्नई, 26 जुलाई मद्रास उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ विभिन्न मामले और प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस की आलोचना की।
इस व्यक्ति को एक पत्रकार बताया जा रहा है और उन्हें कड़े गुंडा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया। अदालत ने कहा कि कानून लागू करने वालों को ऐसे ‘ व्हिसलब्लोअर’ के पीछे नहीं पड़ना चाहिए।
अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि कानून लागू करने वाले विभाग के उच्च अधिकारी मामले को गंभीरता से लें और अपने अधीनस्थों के प्रदर्शन पर नजर रखें ताकि कानून लागू करने वाली एजेंसी कानून के शासन के दायरे में और नागरिकों तथा समाज की बेहतरी के लिए काम करे।
न्यायमूर्ति एम ढांडापाणि ने अपने हाल के आदेश में कहा, ‘‘अवैध मामलों के लिए जिम्मेदार और भ्रष्ट लोगों, जिन्हें उन व्हिसलब्लोअर द्वारा आम आदमी की नजर में लाया जा रहा है, को कानून लागू करने वाली एजेंसी को पकड़ने के लिए कदम उठाने चाहिए।’’
वी अंबाझगन और उनकी पत्नी ने 2017 से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को और उन्हें गिरफ्तार किये जाने को चुनौती दी है। अंबाझगन के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने संबंधित शिकायतकर्ताओं को धमकी दी थी कि यदि वे फिरौती की राशि के भुगतान की उनकी मांग को स्वीकार करने में विफल रहते हैं, तो कुछ अन्य मामलों में भी उनके खिलाफ निंदनीय सामग्री प्रकाशित करेंगे।
सामग्री का अध्ययन करने और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायाधीश ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं।
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