न्यायालय का नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

By भाषा | Updated: September 6, 2021 17:07 IST2021-09-06T17:07:19+5:302021-09-06T17:07:19+5:30

Court refuses to stay order to resume regular hearing | न्यायालय का नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

न्यायालय का नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

नयी दिल्ली, छह सितंबर उच्चतम न्यायालय ने मामलों की नियमित (प्रत्यक्ष) सुनवाई फिर से शुरू करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि डिजिटल सुनवाई से युवा वकील प्रभावित हो रहे हैं। मार्च में कोविड-19 महामारी के कारण नियमित सुनवाई को निलंबित कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) को भी मामले में पक्ष बनाया और उन्हें नोटिस जारी किये। पीठ ने स्पष्ट किया कि डिजिटल सुनवाई का उपयोग सीमित होना चाहिए और याचिकाकर्ता को यह नहीं कहना चाहिए कि ‘हाइब्रिड’ व्यवस्था हमेशा के लिए जारी रहनी चाहिए।

पीठ ने कहा, "हम बीसीआई और एससीबीए को नोटिस जारी करेंगे। देखते हैं कि उनका क्या जवाब होता है। हमने आदेश देखा है लेकिन हम इस पर रोक नहीं लगा रहे हैं।’’

पीठ ने कहा कि इस अदालत का इरादा वकीलों को यहां नहीं देखने का नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें वास्तव में आपकी कमी खल रही है। हम आपको आमने-सामने देखना चाहते हैं। वकीलों का प्रदर्शन भी प्रभावित हो रहा है। आपके कार्यालय में बैठ कर दलीलें देना अदालत में बहस करने से अलग है।

पीठ ने कहा, ‘‘"हम वास्तव में अदालत में आंखों से आंखों का संपर्क खो रहे हैं जहां आप पूरे प्रवाह में दलीलें दे रहे होते हैं। यह सब अभी नहीं हो रहा है। युवा वकील कैसे सीखेंगे? अधिकतर युवा वकील अदालत में बैठकर और वरिष्ठों को बहस करते हुए देखकर सीखते हैं। यह सब डिजिटल तरीके में संभव नहीं है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी कोविड​​​​-19 के खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और भगवान करे कि तीसरी लहर चली जाए और गंभीर नहीं हो तथा चीजें सामान्य हो जाएं। इसलिए, याचिकाकर्ता अब भी जोर दे रहे हैं कि अदालत को भौतिक रूप में कार्य नहीं करना चाहिए।’’

याचिकाकर्ता - ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि ‘हाइब्रिड’ व्यवस्था जारी रहनी चाहिए और इसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रत्यक्ष सुनवाई फिर से शुरू हो।

मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

शीर्ष अदालत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई, जो मार्च में कोविड महामारी के कारण निलंबित कर दी गई थी, 24 अगस्त से फिर शुरू होगी।

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