न्यायालय का हिरासत में मौत के मामले में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक की जमानत बहाल करने से इनकार

By भाषा | Updated: June 15, 2021 15:34 IST2021-06-15T15:34:13+5:302021-06-15T15:34:13+5:30

Court refuses to restore bail of former Inspector General of Police in custodial death case | न्यायालय का हिरासत में मौत के मामले में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक की जमानत बहाल करने से इनकार

न्यायालय का हिरासत में मौत के मामले में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक की जमानत बहाल करने से इनकार

नयी दिल्ली, 15 जून उच्चतम न्यायालय ने हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक जहूर हैदर जैदी की जमानत बहाल करने से मंगलवार को इनकार कर दिया और कहा कि एक गवाह, जो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी है, को प्रभावित करने की कोशिश ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण’’ आरोप है।

हिमाचल प्रदेश में शिमला जिले के कोठखाई में 2017 में एक स्कूली छात्रा से सामूहिक बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों में से हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के मामले में प्रमुख आरोपियों में से एक जैदी को शीर्ष अदालत ने छह अप्रैल 2019 को जमानत दे दी थी और बाद में मामले को शिमला से चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया था।

चंडीगढ़ स्थित विशेष निचली अदालत ने जनवरी 2020 में जैदी की जमानत तब रद्द कर दी थी जब अभियोजन पक्ष की गवाह एवं आईपीएस अधिकारी सौम्या संबासिवन ने आरोप लगाया कि जैदी मुकदमे को प्रभावित करने के लिए उनपर दबाव बना रहे हैं।

बाद में, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने जैदी की जमानत रद्द करने के निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने जैदी की जमानत बहाल करने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘आप सर्वोच्च आईपीएस अधिकारी (राज्य के) रहे हैं। आप दूसरे आईपीएस अधिकारी को कैसे धमका सकते हैं...यदि आप एक आईपीएस अधिकारी को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं तो आप अन्य गवाहों को भी प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं।’’

जैदी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी के गुप्ता ने कहा कि सभी अन्य आरोपी जमानत पर हैं, जबकि आईपीएस अधिकारी द्वारा दबाव बनाए जाने का आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एक साल से अधिक समय से जेल में हैं।

उन्होंने कहा कि अभी मामले में कई गवाहों से जिरह की जानी है और इसके अतिरिक्त जैदी के खिलाफ मुख्य आरोप सबूत मिटाने का है जिसमें अधिकतम सात साल कैद की सजा का प्रावधान है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप इसे मामूली चीज मान सकते हैं, लेकिन जहां तक आपराधिक मुकदमों की बात है तो किसी गवाह को प्रभावित करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण चीज है। हम मामले का गुण-दोष नहीं देख रहे, बल्कि यह देख रहे हैं कि आपने निचली अदालत द्वारा लगाई गईं जमानत शर्तों का किस तरह पालन नहीं किया।’’

जैदी के वकील ने इसके बाद शीर्ष अदालत से याचिका वापस ले ली।

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Web Title: Court refuses to restore bail of former Inspector General of Police in custodial death case

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