अदालत क्ज्ञ बीएसएफ के सिपाही की बर्खास्तगी के मामले में दखल देने से इनकार
By भाषा | Updated: November 3, 2021 15:00 IST2021-11-03T15:00:43+5:302021-11-03T15:00:43+5:30

अदालत क्ज्ञ बीएसएफ के सिपाही की बर्खास्तगी के मामले में दखल देने से इनकार
नयी दिल्ली, तीन नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक सिपाही की बर्खास्तगी में दखल देने से इनकार कर दिया है जो कथित तौर पर 2018 में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले एक व्यक्ति (पीआईओ) के संपर्क में था और भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनाती के दौरान उसके पास से चार मोबाइल फोन और पांच सिम कार्ड मिले थे।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने याचिकाकर्ता सिपाही की याचिका खारिज कर दी जिसमें नौकरी में बहाल करने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने कहा कि उसका "स्पष्टीकरण" कि वह अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करने के लिए उन फोन का उपयोग करता था तथा एक सेट मरम्मत के लिए लाया था और एक मोबाइल फोन अपने बेटे के लिए खरीदा था, "पूरी तरह से काल्पनिक है तथा उसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा सही ही खारिज कर दिया गया था।’’
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के इस दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और बर्खास्तगी का आदेश जारी करने से पहले औपचारिक अनुशासनात्मक जांच नहीं करने के अधिकारियों के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप है कि वह नियमित रूप से एक पीआईओ के संपर्क में था। स्पष्ट रूप से, यदि कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है और उसका उत्तर मांगा जाता है, तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होने की आशंका है क्योंकि इस तरह की जांच में कुछ महत्वपूर्ण परिचालन और तैनाती संबंधी विवरण सामने आ सकते हैं।’’
याचिकाकर्ता जनवरी 2002 में सिपाही के रूप में बीएसएफ में शामिल हुआ था और उसे इस आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था कि उसने एक संदिग्ध पीआईओ से संपर्क किया था। यह भी आरोप था कि उसके सामान की तलाशी के दौरान उसके पास से चार मोबाइल फोन और पांच सिम कार्ड मिले थे।
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