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न्यायालय का चार्टर्ड एकाउंटेंट परीक्षा मामले में आवेदन पर विचार करने से इनकार

By भाषा | Updated: November 29, 2021 17:43 IST

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें अगले महीने होने वाली चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) परीक्षाओं के लिए भारतीय सनदी लेखाकर संस्थान (आईसीएआई) द्वारा जारी अधिसूचना से जुड़े मुद्दों को उठाया गया था। न्यायालय ने कहा, ‘‘हम यहां हर चीज को विनियमित करने के लिए नहीं है।’’

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने आवेदक से यह भी पूछा कि उसने एक ऐसी रिट याचिका में आवेदन क्यों दायर किया जिसे शीर्ष अदालत ने पहले ही निपटा दिया था।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस आवेदन पर विचार नहीं करेंगे। आवेदक, यदि और जब जरूरी हो तो, आवश्यक संशोधन कराने के वास्ते सक्षम प्राधिकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए स्वतंत्र है।’’

आवेदक की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को आईसीएआई की आठ नवंबर की अधिसूचना के बारे में बताया जिसमें कोविड​​​​-19 महामारी के मद्देनजर परीक्षा केंद्रों, परीक्षा अधिकारियों और दिसंबर 2021 की सीए परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए दिशा-निर्देशों का उल्लेख है।

पीठ ने कहा, “आप आवेदन कैसे दाखिल कर सकते हैं?... आप किसी परिपत्र पर सवाल उठा रहे हैं।’’

आवेदक के वकील ने कहा कि यह शीर्ष अदालत के 30 जून के आदेश को आगे बढ़ाने से संबंधित परिपत्र है।

शीर्ष अदालत ने जुलाई में होने वाली सीए परीक्षाओं में शामिल होने से जुड़े ऐसे अभ्यर्थियों को 30 जून को परीक्षा में उपस्थित न होने का विकल्प प्रदान कर दिया था जो खुद या जिनके परिवार कोविड-19 से प्रभावित हुए हों।

इसने अभ्यर्थियों के लिए उपस्थित नहीं होने का विकल्प, परीक्षा स्थगित करने और इस वर्ष केंद्रों की संख्या में वृद्धि शामिल करने जैसी राहत के लिण्विभिन्न याचिकओं पर सुनवाई करते हुए जून में आदेश पारित किया था।

सोमवार को सुनवाई के दौरान, आवेदक की ओर से पेश वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश को ध्यान में रखते हुए अब परीक्षा दिसंबर में होनी है।

पीठ ने कहा, "जून 2021 में स्थिति अलग थी, अब स्थिति अलग है और यह एक उभरती हुई स्थिति है।" इसने कहा, "हम यहां सब कुछ विनियमित करने के लिए नहीं हैं।"

वकील ने कहा कि आठ नवंबर को जारी अधिसूचना में परीक्षा में उपस्थित न होने की कोई अंतर्निहित योजना नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अधिकारी आपसे ज्यादा चिंतित हैं।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि आवेदक सक्षम प्राधिकारी के किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से व्यथित है, तो वह इसे एक स्वतंत्र कार्यवाही में चुनौती दे सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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