न्यायालय ने कैदियों में पैरोल के अधिकार के बारे में अनभिज्ञता पर चिंता जताई
By भाषा | Updated: August 1, 2021 20:15 IST2021-08-01T20:15:41+5:302021-08-01T20:15:41+5:30

न्यायालय ने कैदियों में पैरोल के अधिकार के बारे में अनभिज्ञता पर चिंता जताई
जोधपुर, एक अगस्त राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई है कि कई कैदियों को अपने पैरोल संबंधी अधिकार की जानकारी नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे पैरोल की अर्हता रखने वाले कैदियों को इसकी जानकारी दें।
अदालत ने राजस्थान राज्य विधि सेवा प्राधिकरण को भी निर्देश दिया है कि वह कारागार महानिदेशक के साथ समन्वय कर राज्य की जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों का कंप्यूट्रीकृत डाटाबेस बनाएं। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस डाटाबेस में दोषी की गिरफ्तारी की तारीख, पूरी की गई सजा की अवधि, जेल की सजा अगर मिली हो तो, फरार होने की अवधि, अगर हो तो और पूर्व में दी गई पैरोल, अगर दी गई हो तो ,जैसी जानकारी शामिल करें। अदालत ने 14 सितंबर को निर्देशों पर अनुपालन रिपोर्ट तलब की है।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग की पीठ ने ये निर्देश एक याचिकाकर्ता को 14 साल की सजा पूरी करने पर पैरोल देते हुए जारी किए।
अदालत ने कहा, ‘‘ यह दयनीय स्थिति है कि इस मामले में सजायाफ्ता कैदी को सजा के 14 साल पूरे होने के बाद पहली बार पैरोल दी जा रही है।’’
पीठ ने कहा कि उसके संज्ञान में कई मामले आए हैं जिनमें सजायाफ्ता कैदी लंबे समय से जेल में कैद है और गरीबी, अशिक्षा या अन्य कारणों की वजह से पैरोल की सुविधा नहीं ले पा रहा है।
अदालत ने कहा, ‘‘ यह जेल अधीक्षक का कर्तव्य है कि वह सभी अर्हता प्राप्त कैदियों को अर्हता प्राप्त करते ही उन्हें पैरोल पर रिहा करने पर विचार करने के उनके अधिकार के बारे में बताएं।
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