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अदालत ने ट्विटर इंडिया के अधिकारी को उप्र पुलिस का नोटिस रद्द किया

By भाषा | Updated: July 23, 2021 17:53 IST

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बेंगलुरू, 23 जुलाई कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को जारी उस नोटिस को रद्द कर दिया, जिसमें ट्विटर मंच पर एक व्यक्ति द्वारा अपलोड किए गए सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील वीडियो की जांच के तहत उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा गया था। अदालत ने नोटिस को रद्द करते हुए कहा कि इसे दुर्भावना से जारी किया गया था।

न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस को धारा 160 के तहत माना जाना चाहिए, जिससे गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी से उनके कार्यालय या बेंगलुरु में उनके आवासीय पते पर डिजिटल तरीके से पूछताछ करने की अनुमति मिलती है।

अदालत ने कहा कि धारा 41 (ए) के तहत कानूनी प्रावधानों को "उत्पीड़न का औजार" बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और गाजियाबाद पुलिस ने ऐसी कोई सामग्री नहीं पेश की, जिससे प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की संलिप्तता का पता लग सके, जबकि सुनवाई पिछले कई दिनों से चल रही है।

अदालत ने कहा, "इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कि धारा 41 (ए) के तहत नोटिस दुर्भावना से जारी किया गया था, यह रिट याचिका (माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका) स्वीकार करने योग्य है।’’

अदालत ने कहा कि धारा 41 (ए) लागू करने की प्रतिवादी (गाजियाबाद पुलिस) की कार्रवाई से अदालत के दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि यह दबाव डालने के लिए इस्तेमाल किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता ने धारा 160 के तहत जारी नोटिस पर गौर करने से इनकार कर दिया।

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) पुलिस ने 21 जून को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41-ए के तहत नोटिस जारी कर माहेश्वरी को 24 जून को सुबह 10:30 बजे लोनी बॉर्डर थाने में रिपोर्ट करने को कहा था। कर्नाटक के बेंगलुरु में रह रहे माहेश्वरी ने उसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया था।

उच्च न्यायालय ने 24 जून को एक अंतरिम आदेश में गाजियाबाद पुलिस को उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने से रोक दिया था।

न्यायमूर्ति नरेंद्र ने कहा था कि अगर पुलिस पूछताछ करना चाहती है तो वह डिजिटल तरीके से ऐसा कर सकती है।

गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ट्विटर इंडिया), समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकारों मोहम्मद जुबैर और राणा अयूब के अलावा कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

उन पर एक वीडियो पोस्ट किए जाने को लेकर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया था कि कुछ युवकों ने उनके साथ मारपीट की और पांच जून को उनसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए भी कहा।

पुलिस के अनुसार, वह वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए पोस्ट किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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