न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा का संपर्क होने’ संबंधी आदेश को खारिज किया

By भाषा | Updated: November 18, 2021 12:44 IST2021-11-18T12:44:00+5:302021-11-18T12:44:00+5:30

Court quashes Bombay High Court order on 'skin-to-skin contact' | न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा का संपर्क होने’ संबंधी आदेश को खारिज किया

न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा का संपर्क होने’ संबंधी आदेश को खारिज किया

नयी दिल्ली, 18 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि आरोपी और पीड़िता के बीच ‘त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क नहीं हुआ’ है, तो पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) कानून के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है।

न्यायमूर्ति यू यू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न का सबसे महत्वपूर्ण घटक इसका इरादा होना है, न कि बच्ची के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क होना। न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी इस पीठ में शामिल थीं।

न्यायालय ने कहा कि कानून का मकसद अपराधी को कानून के चंगुल से बचने की अनुमति देना नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने कहा है कि जब विधायिका ने स्पष्ट इरादा व्यक्त किया है, तो अदालतें प्रावधान में अस्पष्टता पैदा नहीं कर सकतीं। यह सही है कि अदालतें अस्पष्टता पैदा करने में अति उत्साही नहीं हो सकतीं।’’

अटॉर्नी जनरल और राष्ट्रीय महिला आयोग की अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी। बंबई उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में पॉक्सो कानून के तहत एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा था कि बिना ‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’ के “नाबालिग के वक्ष को पकड़ने को यौन हमला नहीं कहा जा सकता है।”

सत्र अदालत ने व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और पॉक्सो काननू के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा था, लेकिन पॉक्सो कानून के तहत उसे बरी कर दिया था।

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Web Title: Court quashes Bombay High Court order on 'skin-to-skin contact'

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