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किसी के भूला दिये जाने के अधिकार के लिए आईटी अधिनियम के तहत अदालती आदेशों को नहीं हटाया जा सकता :केंद्र

By भाषा | Updated: December 16, 2021 19:58 IST

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नयी दिल्ली, 16 दिसंबर केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि किसी व्यक्ति के भूला दिये जाने के अधिकार को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अदालती आदेशों को नहीं हटाया जा सकता है।

केंद्र ने दलील दी कि निजता का अधिकार मूल अधिकार है और इसमें भूला दिये जाने का अधिकार भी शामिल है, ऐसे में अदालती आदेश हटाने के लिए कोई आदेश उच्च न्यायालय द्वारा मध्यस्थ और उस मंच को सीधे जारी करना होगा, जिस पर उसे अद्यतन किया जाना है।

केंद्र ने दो कारोबारियों की एक याचिका पर अपने हलफनामे में यह दलील दी है। याचिका के जरिए कारोबारियों ने अपने खिलाफ एक आपराधिक मामले से जुड़ी कुछ खास सामग्री विभिन्न ऑनलाइन मंच से हटाने का अनुरोध किया था। केंद्र ने कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम लोगों की पहुंच से दूर रखने के लिए सूचना को किसी भी कंप्यूटर से ब्लॉक करने का प्रावधान करता है, लेकिन इसके प्रावधान मौजूदा मामले में लागू नहीं होते हैं।

याचिकाकर्ता ने कुछ ऑनलाइन मंचों से इस आधार पर अदालती आदेश हटाने का अनुरोध किया है कि 2016 में एक आपराधिक मामले में आरोपमुक्त किये जाने के बावजूद इंटरनेट पर सूचना उपलब्ध है जिसके चलते उन्हें सामाजिक बदनामी का सामना करना पड़ रहा है।

केंद्र ने कहा कि अपने नागरिकों की निजता की रक्षा के लिए भारत सरकार निजी डेटा सुरक्षा विधेयक 2019 लेकर आई थी, जिसमें भूला दिये जाने के अधिकार के सिद्धांत से जुड़े प्रावधान हैं।

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं को मामले में तथ्यों और परिस्थितियों के संदर्भ में भूला दिये जाने का अधिकार या लिंक से हटाने का अधिकार है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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