न्यायालय ने राममंदिर की कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर याचिका दायर करने वालों को कम जुर्माने पर छोड़ा

By भाषा | Updated: November 20, 2020 21:18 IST2020-11-20T21:18:25+5:302020-11-20T21:18:25+5:30

Court leaves those petitioning for preservation of artifacts of Ram temple on lesser fines | न्यायालय ने राममंदिर की कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर याचिका दायर करने वालों को कम जुर्माने पर छोड़ा

न्यायालय ने राममंदिर की कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर याचिका दायर करने वालों को कम जुर्माने पर छोड़ा

नयी दिल्ली, 20 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर स्थल पर मिली प्राचीन कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर पूरी तरह से तुच्छ जनहित याचिका दायर करने वाले चार याचिकाकर्ताओं को एक लाख रुपए जुर्माने की राशि जमा करने के बाद छोड़ दिया। न्यायालय ने इन याचिकाकर्ताओं पर पहले चार लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।

शीर्ष अदालत ने यह जनहित याचिका दायर करने वाले चार याचिकाकर्ताओं पर 20 जुलाई को एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुये कहा था कि इनकी मंशा संविधान पीठ के नौ नवंबर, 2019 के फैसले से शांत हो गये मामले को फिर से खुलवाने की है।

न्यायालय ने कहा था कि लंबी चली कानूनी लड़ाई के बाद अब राम मंदिर के लिये आबंटित क्षेत्र की सभी खाइयों की खुदाई का अनुरोध और कुछ नहीं बल्कि नौ नवंबर 2019 के संविधान पीठ के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिये इस प्रकरण को फिर से खुलवाने का प्रयास है। इस याचिका में कोई भी दम नहीं है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और बी आर गवई की पीठ को शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरूस्वामी ने सूचित किया कि याचिकाकर्ता बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि के हैं और उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है।

उन्होंने पीठ से कहा कि सतीश चिंधूजी शम्भारकर और अन्य को इस मामले को आगे बढ़ाने की गलत सलाह दी गयी थी। उन्होंने पीठ से याचिकाकर्ताओं के प्रति नरमी बरतने का अनुरोध करते हुये कहा कि वे चार लाख रुपए की जगह एक लाख रुपए जमा करा चुके हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम याचिकाकर्ताओं का अनुरोध इस शर्त पर स्वीकार करते हैं कि वे भविष्य में इस तरह की गतिविधि में संलिप्त नहीं होंगे। सिर्फ एक लाख रुपए जमा कराने में हुआ विलंब माफ किया जाता है और यह माना जायेगा कि याचिकाकर्ताओं ने उन पर लगाया गया जुर्माना 20 जुलाई 2020 के आदेश के अनुरूप पूरी तरह अदा कर दिया है।

शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को शम्भारकर और अन्य तथा डॉ. आम्बेडकर बोधि कुंज फाउण्डेशन की दो याचिकायें खारिज कर दी थीं। इन याचिकाओें अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल की खाइयों की खुदाई करने और इसमें मिली प्राचीन कलाकृतियों को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल तथा अवशेष कानून, 1958 के तहत संरक्षित रखने का अनुरोध किया गया था।

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Web Title: Court leaves those petitioning for preservation of artifacts of Ram temple on lesser fines

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