नयी दिल्ली, 27 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने क्लीनिकल प्रतिष्ठान अधिनियम, 2010 के प्रावधानों को अपनाकर संविधान के अनुरूप नागरिकों के लिए एक समान स्वास्थ्य सेवा के निर्देश के लिए दायर याचिका पर केंद्र से मंगलवार को जवाब मांगा।
याचिका में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम के सभी प्रावधानों के साथ-साथ क्लीनिकल प्रतिष्ठान नियम, 2012 को लागू करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मरीजों के अधिकार अभियान ‘जन स्वास्थ्य अभियान’ और के एम गोपाकुमार की याचिका पर सरकार और अन्य को नोटिस जारी किये।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने तर्क दिया कि कई समितियों की सिफारिशों और स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय नीति के बाद क्लीनिकल प्रतिष्ठान अधिनियम (सीईए) आया है और यह शुल्क और मानक उपाय के निर्धारण के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है।
याचिका में क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के पंजीकरण के लिए शर्तों की अधिसूचना और कार्यान्वयन के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मरीजों के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाए, जब तक कि इस कानून की कमियों को उचित कानून के माध्यम से दूर नहीं कर लिया जाता।
याचिका में कहा गया है कि भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को विकसित करने के लिए उचित बुनियादी ढांचा और पर्याप्त बजट प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न केवल सामान्य समय में बल्कि कोविड-19 जैसी आपात स्थिति के समय भी सार्वजनिक क्षेत्र में अधिकतम सुविधाएं मौजूद हों।
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