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झारखंड में वाहनों पर ‘नेम प्लेट’ लगाने पर अदालत ने नाराजगी जतायी

By भाषा | Updated: December 18, 2020 21:55 IST

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रांची, 18 दिसंबर झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में सरकारी एवं निजी वाहनों पर ‘नेम प्लेट’ तथा पदनाम लिखने के खिलाफ कार्रवाई न करने पर राज्य सरकार की शुक्रवार को खिंचाई की और पूछा कि इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इसके बाद राज्य सरकार ने छह सप्ताह के भीतर नियमावली बनाकर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डा. रविरंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले में गजाला तनवीर की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की कि वाहनों में पदनाम और बोर्ड लगाकर वाहन चलाने वालों को सरकार छूट देकर ‘वीआईपी संस्कृति’ को बढ़ावा दे रही है।

अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने के लिए ही वाहनों से बत्तियां (बीकन लाइट) और नेम प्लेट हटाने का निर्देश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी वाहन में किसी भी पदनाम और नाम का प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। इसमें कहा गया कि सरकारी अधिकारी से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और अन्य लोग भी बोर्ड लगा कर चल रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में परिवहन सचिव को ऑनलाइन हाजिर होने का निर्देश दिया था जिसके आलोक में शुक्रवार को परिवहन सचिव पीठ की कार्यवाही में हाजिर हुए। सुनवाई के दौरान अदालत ने सचिव से पूछा कि आखिर वाहनों से बोर्ड क्यों नहीं हटाए जा रहे हैं? इस पर सचिव ने अदालत को बताया कि बोर्ड हटाने की राज्य में कोई नियमावली नहीं बनी है, इसलिए बोर्ड नहीं हटाया जा रहा है, जब तक नियमावली नहीं बनेगी तब तक बोर्ड नहीं हटाया जा सकता।

सरकार के इस जवाब में अदालत ने नाराजगी जतायी और कहा कि लाल और पीली बत्ती हटाने का उच्चतम न्यायालय का आदेश मान लिया गया और बोर्ड हटाने पर नियमावली का बहाना क्यों बनाया जा रहा है? क्यों सरकार वीआईपी संस्कृति को बढ़ाना चाहती है, जबकि उच्चतम न्यायालय ने वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने के लिए यह आदेश दिया था।

इस पर सचिव ने कहा कि छह सप्ताह में नियमावली बना ली जाएगी। उन्होंने कहा कि नियमावली में यह तय कर लिया जाएगा कि पदनाम का बोर्ड लगाने के लिए कौन अधिकृत होंगे और कौन नहीं। उन्होंने कहा कि सरकारी वाहनों के लिए भी नियम तय कर लिए जाएंगे।

इस पर पीठ ने सचिव को नियमावली तैयार करने के बाद वाहनों पर से बोर्ड और नेम प्लेट हटाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ विस्तृत रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 12 फरवरी तय की गयी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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