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अदालत ने केरल में 42 हजार ध्वज स्तंभों की संख्या पर हैरानी जतायी

By भाषा | Updated: November 15, 2021 16:28 IST

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कोच्चि, 15 नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने राज्य भर में 42,000 से अधिक ध्वज स्तंभों की संख्या पर चिंता एवं हैरानी जताते हुए सोमवार को वाम सरकार से कहा कि दोषियों के खिलाफ प्रत्येक लागू कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए तथा इसमें उनकी राजनीतिक संबद्धता पर ध्यान नहीं दिया जाए।

उच्च न्यायालय ने मुद्दे पर गौर करते हुए गत एक नवंबर के अपने अंतरिम आदेश को दोहराते हुए कहा कि राज्य में ‘‘कोई और अवैध ध्वज स्तंभ’’ नहीं लगाया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि अवैध ध्वज स्तंभ लगाने के खिलाफ उच्च न्यायालय के निर्देश और अधिकतम जुर्माने सहित इसके परिणामी दंड का व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए ताकि जो लोग कानून के अनुसार कार्य करना चाहते हैं उन्हें ध्वज स्तंभ हटाने का एक मौका मिल सके।

उच्च न्यायालय ने कहा कि उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है जो प्राधिकारियों द्वारा आवश्यक कदम उठाने से पहले ध्वज स्तंभ हटा देते हैं।

अदालत ने यह निर्देश राज्य सरकार द्वारा यह सूचित करने पर दिया कि उसके सर्वेक्षण के अनुसार केरल में करीब 42,337 ध्वज स्तंभ हैं। हालांकि, राज्य ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं बताया कि इनमें से कितने ध्वज स्तंभ अवैध हैं।

न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने आंकड़ों को ‘‘आश्चर्यजनक’’ बताते हुए कहा, ‘‘स्थिति चिंताजनक है। मुझे यकीन है कि संख्याएं सटीक नहीं हैं और यदि एक संपूर्ण मूल्यांकन किया जाता है तो यह दोगुना या उससे अधिक होगा।’’

अदालत ने यह भी कहा कि उसे प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह ‘‘आश्चर्य की बात नहीं होगी’’ यदि 42,000 से अधिक ध्वज स्तंभ में से अधिकांश के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं हो।

अदालत ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से ध्वज स्तंभ सड़क किनारे, ऑटो स्टैंड, यातायात जंक्शन आदि पर ध्वज स्तंभ लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’

राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ सरकारी वकील एस कन्नन ने कहा कि वाम सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और 10 दिन में कार्रवाई रिपोर्ट दायर की जाएगी। उन्होंने इसके लिए समय मांगा।

अदालत ने सरकार को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 25 नवंबर तक का समय दिया और कहा कि इस बीच सक्षम अधिकारी 1 नवंबर के अंतरिम आदेश को लागू करना सुनिश्चित करेंगे।

अदालत एक सहकारी समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक विशेष राजनीतिक दल अवैध रूप से उसकी जमीन पर झंडे और बैनर लगा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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