अदालत ने आनंद तेलतुम्बडे की अंतरिम जमानत याचिका खारिज की
By भाषा | Updated: December 1, 2021 19:48 IST2021-12-01T19:48:43+5:302021-12-01T19:48:43+5:30

अदालत ने आनंद तेलतुम्बडे की अंतरिम जमानत याचिका खारिज की
मुंबई, एक दिसंबर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के एक आरोपी कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बडे को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
आनंद ने पिछले महीने सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में अपने भाई मिलिंद तेलतुम्बडे की मौत के बाद अपनी मां से मिलने के लिए जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था। आनंद अप्रैल 2020 में एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तारी के बाद से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। विशेष अदालत के न्यायाधीश डी ई कोठालीकर ने उनकी अस्थायी जमानत अर्जी खारिज कर दी।
आनंद ने 23 नवंबर को दायर याचिका में कहा था कि उन्हें पता चला है कि उनके भाई मिलिंद तेलतुम्बडे 13 नवंबर को गढ़चिरौली में मारे गए। मिलिंद भी इस मामले के वांछित आरोपियों में से एक था।
तेलतुम्बडे ने कहा कि उनकी मां की उम्र 90 वर्ष से अधिक है और शोक के ऐसे मौके पर घर में उनकी उपस्थिति से सबको ढांढस मिलेगा। याचिका में उन्होंने 15 दिन की जमानत का अनुरोध किया था।
इस बीच, मामले के एक अन्य आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग ने जेल के अंदर प्लास्टिक की कुर्सी और मेज उपलब्ध कराने का अनुरोध हुए एक याचिका दायर की है। गाडलिंग ने एक व्यक्तिगत शेविंग किट रखने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। अदालत ने जेल अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है और मामले की सुनवाई आठ दिसंबर को तय की है।
तेलतुम्बडे और अन्य आरोपियों के खिलाफ यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद के कार्यक्रम से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ बयानों के कारण इसके अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की। पुलिस का यह भी दावा है कि इस कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन हासिल था। बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।
गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में मिलिंद तेलतुम्बडे भी शामिल थे। हिंसक गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए मिलिंद पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
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