न्यायालय का आईआईटी, मुंबई को 18 वर्षीय छात्र को अंतरिम प्रवेश देने का निर्देश

By भाषा | Updated: December 9, 2020 16:06 IST2020-12-09T16:06:54+5:302020-12-09T16:06:54+5:30

Court directs IIT, Mumbai to grant interim admission to 18-year-old student | न्यायालय का आईआईटी, मुंबई को 18 वर्षीय छात्र को अंतरिम प्रवेश देने का निर्देश

न्यायालय का आईआईटी, मुंबई को 18 वर्षीय छात्र को अंतरिम प्रवेश देने का निर्देश

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 18 वर्षीय छात्र को उस समय बड़ी राहत प्रदान की जब उसने आईआईटी, मुंबई को इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में छात्र को अंतरिम प्रवेश देने का निर्देश दिया । इस छात्र ने गलती से ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के गलत लिंक को क्लिक करने की वजह से अपनी सीट गंवा दी थी।

आगरा निवासी सिद्धांत बत्रा ने आईआईटी,मुंबई में चार वर्षीय इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की सीट गंवा दी थी क्योंकि उसने गलती से ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में गलत लिंक दबा दिया था।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने इस छात्र की ओर से अधिवक्ता प्रह्लाद परंजपे के कथन का संज्ञान लिया और आईआईटी,मुंबई से कहा कि वह छात्र को अंतरिम प्रवेश प्रदान करे।

पीठ ने इसके साथ ही इस याचिका पर आईआईटी , मुंबई को नोटिस जारी किया और यह याचिका शीतकालीन अवकाश के बीच सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दी।

मामले की सुनवाई के दौरान परंजपे ने कहा कि यह प्रवेश छात्र की याचिका पर शीर्ष अदालत के अंतिम निर्णय के दायरे में होगा।

इससे पहले, बंबई उच्च न्यायालय ने छात्र की याचिका खारिज करते हुये आईआईटी के इस तर्क का संज्ञान लिया था कि इस चरण में वह इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता क्योंकि सारे पाठ्यक्रमों की सारी सीटें पूरी हो गयी हैं और वैसे भी प्रवेश के नियमों का पालन करना होगा।

उसने कहा था कि अगले साल सिद्धार्थ जेईई (एडवांस्ड) के लिये दुबारा आवेदन कर सकता था।

उच्च न्यायालय ने शुरू में आईआईटी को निर्देश दिया था कि वह सिद्धांत के प्रतिवेदन पर विचार करे और उस पर उचित व्यवस्था दे।

सिद्धांत ने जेईई एडवांस्ड परीक्षा में अखिल भारतीय 270रैंक हासिल किया था। उसने अपनी याचिका में दावा किया कि उसने गलती से वह बटन क्लिक कर दिया जिसका मतलब अपनी सीट से वापस हटना था जबकि उसका इरादा इस सीट को आरक्षित करना था।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 23 नवंबर को सिद्धांत की याचिका यह कहते हुये खारिज कर दी थी कि आईआईटी ने उनके प्रतिवेदन पर विचार करके आदेश पारित किया था।

सिद्धांत ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि वह आईआईटी को मानवीय आधार पर उसके मामले पर विचार करने का निर्देश दे और उसने एक अतिरिक्त सीट का सृजन करने का अनुरोध भी किया।

सिद्धांत अपने माता पिता के निधन के बाद अपने दादा के पास रहता है और उसने याचिका में कहा है कि विषम परिस्थितियों में उसने आईआईटी जेईई परीक्षा उत्तीर्ण की है।

याचिका के अनुसार सिद्धांत के पिता का उस समय निधन हो गया था जब वह बच्चा था और उसकी मां ने ही उसे बड़ा किया लेकिन 2018 में उनका भी निधन हो गया।

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