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न्यायालय ने बहुमत से फैसला सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना का रास्ता साफ किया

By भाषा | Updated: January 5, 2021 13:08 IST

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नयी दिल्ली, पांच जनवरी उच्चतम न्यायालय ने ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को मंगलवार को बरकरार रखा और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ कर दिया।

सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। उसी वर्ष भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।

इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि परियोजना के लिए जो पर्यावरण मंजूरी दी गई है तथा भूमि उपयोग में परिवर्तन के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है, वे वैध हैं।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने अपनी तथा न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की ओर से यह फैसला लिखा जिसमें सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है।

पीठ के तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने पर्यावरण मंजूरी दिए जाने और भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी फैसले पर असहमति जताई।

शीर्ष अदालत ने बहुमत के फैसले में कहा कि नए स्थलों पर निर्माण कार्य आरंभ करने से पहले धरोहर संरक्षण समिति तथा अन्य संबंधित प्राधिाकारों से पूर्व अनुमति ली जाए।

भूमि उपयोग में बदलाव के बारे में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि कानून के तहत इसे गलत माना जाता है और इस मुद्दे पर जन भागीदारी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

शीर्ष अदालत का यह फैसला उन अनेक याचिकाओं पर आया है जिनमें परियोजना को दी गई विभिन्न मंजूरियों पर आपत्ति जताई गई है, इनमें पर्यावरण मंजूरी दिए जाने और भूमि उपयोग के बदलाव की मंजूरी देने का भी विरोध किया गया है। इनमें से एक याचिका कार्यकर्ता राजीव सूरी की भी है।

बीते वर्ष सात दिसंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र को सेंट्रल विस्टा परियोजना की आधारशिला रखने का कार्यक्रम आयोजित करने की मंजूरी दी थी। यह कार्यक्रम दस दिसंबर को हुआ था। इससे पहले सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया था कि निर्माण का या ढहाने का कोई भी कार्य तब तक शुरू नहीं किया जाएगा जब तक शीर्ष अदालत मुद्दे पर लंबित याचिकाओं के बारे में फैसला नहीं ले लेती।

नए संसद भवन की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी। नया संसद भवन 2022 तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है तथा इसकी अनुमानित लागत 971 करोड़ रूपये है।

केंद्र ने शीर्ष अदालत में पहले कहा था कि परियोजना से ‘‘पैसा बचेगा’’ क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार के कई मंत्रालय किराए की इमारतों में हैं। उसने यह भी कहा था कि नया संसद भवन बनाने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया है और परियोजना के लिए किसी भी नियम-कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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