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अदालत का ‘खान चाचा’, ‘टाउन हॉल’ के पंजीकरण के निलंबन के खिलाफ याचिका पर पुलिस को निर्देश लेने को कहा

By भाषा | Updated: July 20, 2021 16:24 IST

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नयी दिल्ली, 20 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पुलिस को नवनीत कालरा की उस याचिका पर निर्देश लेने के लिए कहा जिसमें कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन सांद्रक की कथित कालाबाजारी से संबंधित एक मामले में उसके रेस्तरां 'खान चाचा' और 'टाउन हॉल' के पंजीकरण निलंबित करने को चुनौती दी गई है।

दिल्ली पुलिस ने 16 मई को कालरा को गिरफ्तार किया था। कालरा को 29 मई को जमानत मिल गई थी।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दो रेस्तरां के संबंध में जारी कारण बताओ नोटिस के सिलसिले में अब तक अंतिम आदेश पारित नहीं करने पर अधिकारियों से सवाल किया। न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, ‘‘आप, लोगों को यहां (अदालत) आने के लिए मजबूर करते हैं। आपको अब तक एक आदेश पारित कर देना चाहिए था। आखिरकार वह उन्हें चलाना चाहता है। अगर वह कानून में हकदार नहीं है, तो कृपया एक आदेश पारित करें। यह क्या है - आपने बस एक प्राथमिकी दर्ज कर ली और ऐसा लगता है सब कुछ रफा दफा हो गया।’’

उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस के वकील को निर्देश लेने के लिए समय दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की।

अदालत संयुक्त पुलिस आयुक्त (लाइसेंसिंग) की 11 मई के आदेश-सह-कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाली कालरा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी और दिल्ली के खान मार्केट में दो भोजनालयों को चलाने के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र को स्थगित करते हुए, 15 दिनों के भीतर जवाब अवसर देने का अनुरोध किया था।

कालरा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने नौ जून को जवाब दाखलि किया। हालांकि अधिकारियों से इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं होता देख उन्होंने 17 जून को उन्हें फिर से लिखा, लेकिन आज तक उन्होंने न तो निलंबन का आदेश वापस लिया और न ही कारण बताओ नोटिस पर कोई निर्णय लिया। उन्होंने दलील दी कि यह स्थगन दिल्ली ईटिंग हाउस पंजीकरण विनियमों के प्रावधानों के विपरीत था क्योंकि यह कारण बताओ नोटिस जारी करने के स्तर पर निलंबित करने अधिकार नहीं देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘केवल प्राथमिकी दर्ज करने के आधार पर पंजीकरण प्रमाणपत्र को निलंबित करने का कोई प्रावधान नहीं है।’’ दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष त्रिपाठी ने मामले में निर्देश लेने के लिए अदालत से समय देने का अनुरोध किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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