नई दिल्ली: भारत में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक होगी, इसे लेकर देश और दुनिया के डॉक्टर पूरी तरह सहमत नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अभी ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं जिससे साबित होता हो की तीसरी लहर में बड़ों की तुलना में बच्चे अधिक संक्रमित होंगे तथा तीसरी लहर उनके लिए जानलेवा साबित होगी।
इटली के डॉक्टर टोटा लुइगी का तर्क है कि अब तक का जो डाटा उपलब्ध हुआ है उसके आधार पर यह कहना सही नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चे सर्वाधिक संक्रमित होंगे और यह उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि ये अवधारणा केवल इसलिए बलवती हो रही है क्योंकि अभी तक बच्चो के लिए दुनिया के तमाम देशों में कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
कोरोना: तीसरी लहर के खतरे को लेकर अभी कोई डेटा मौजूद नहीं
दिल्ली की बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर हेमा बिष्ट मानती हैं कि दूसरी लहर हो या तीसरी, बच्चो की संक्रमण से दूर रखने के लिए उनकी सुरक्षा ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि कोई नया वैरिएंट तीसरी लहर में बच्चों को संक्रमित करेगा, ये कहना अभी इसलिए ठीक नहीं है क्योंकि इसे लेकर कोई पुष्ट जानकारी अथवा डेटा ऐसे संकेत नहीं दे रहा।
ऑक्सफ़ोर्ड के डॉक्टर अमित गुप्ता मानते हैं कि यदि आप केवल अभी जो तथ्य मौजूद हैं उनके आधार पर बात करें तो यह कह सकते हैं कि नया म्यूटेंट बच्चों को अधिक संक्रमित कर सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि हालांकि यह कहना बहुत जल्दबाज़ी होगी क्योंकि इस मुद्दे पर अभी तक न तो कोई विशेष जानकारी प्राप्त हुई है और न ही उस तरह का डाटा है,लेकिन यह नया म्युटेंट बच्चों को प्रभावित कर सकता है।
उनका तर्क था कि इस म्युटेंट के तहत इस बात की पूरी सम्भावना है कि बच्चों में कोरोना के लक्षण स्पष्ट दिखाई न दें लेकिन वो इसकी चपेट में आ जाएं। साथ ही यह भी तर्क दिया कि डॉक्टरों और विशेषज्ञों की पूरी बिरादरी डेटा की कमी के कारण भ्रमित हैं जिससे किसी सही नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है।
'किसी भी महामारी की दूसरी लहर सबसे खतरनाक'
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने टिप्पणी की कि अक्सर यह देखा गया है कि इस तरह की महामारी तीन चरणों में अपना प्रभाव डालती है, जिसमें दूसरा चरण सबसे खतरनाक मना जाता है।
उन्होंने भी स्वीकार किया कि तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमण को लेकर जो तर्क दिए जा रहे हैं उनके आधार पर पूरी तरह स्पष्टता नहीं है क्योंकि अभी तक दुनिया से जो डाटा मिला है उसके आधार पर कोई भविष्यवाणी करना जल्दबाज़ी होगी लेकिन म्युटेंट के स्वभाव को देखते हुए बच्चो को लेकर हमें पहले से तैयार रहना होगा क्योंकि अभी तक हमारे पास कोई ऐसी वैक्सीन नहीं जिससे हम बचाव कर सकें।