नई दिल्ली। यूरोप में महामारी के केंद्र बने इटली से वापस आने के बजाय तीन भारतीयों ने अपना काम पूरा करने के लिए वहीं रहने का फैसला किया है। इनमें से एक छात्र डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने, दूसरा कोरोना वायरस संबंधी शोध करने और तीसरा यह देखने के लिए है कि दुनिया में स्वास्थ्य सेवा के मामले पर दूसरे स्थान पर यह देश महामारी से निपटने के लिए कैसे काम कर रहा है। ये तीनों छात्र असम के रहने वाले हैं और करीब चार साल से इटली में हैं। ये उन गिने चुने भारतीयों में हैं जिन्होंने वापस लाने की भारत सरकार की व्यवस्था के बावजूद इटली में ही रहने का फैसला किया। भारत ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की और उसी दिन प्रवीण उपाध्याय को ऑनलाइन डॉक्टरेट की उपाधि मिली। जैव विज्ञानी उपाध्याय ने मध्य इटली के अब्रूज़ो क्षेत्र स्थित गैब्रियेल डी एन्नुनजि़यो विश्वविद्यालय से न्यूरोसाइंसेज ऐंड इमेजिंग में यह उपाधि प्राप्त की है। चैती से उपाध्याय ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया, ‘‘ मैंने अतिरिक्त उपाधि ‘पीएचडी यूरोपियस’ के साथ डॉक्टरेट की है और मुझे शानदार का ग्रेड मिला है। इस समय मैं अतिरिक्त शोध के लिए डॉक्टरेट की बाद की पढ़ाई के बारे में सोच रहा हूं।’’ असम के तिनसुकिया जिले के रहने वाले और 20 दिनों से घर में पृथक रह रहे उपाध्याय ने कहा, ‘‘जब भारत जाने के लिए उड़ान की व्यवस्था की गई तब पीएचडी की उपाधि के लिए मेरे पास कुछ काम था। इसलिए मैं इसे पूरा करने के लिए यहीं रहने का फैसला किया।’’ उपाध्याय के साथ यहीं रहने का फैसला करने वाले आकाश दीप बिस्वास को भी घर नहीं जाने का कोई मलाल नहीं है। तेजपुर के रहने वाले बिस्वास पीएचडी शोधार्थी हैं। बिस्वास मौजूदा समय में उस मॉल्युकूल को खोजने का प्रयास कर रहे हैं जो कोरोना वायरस-2 के प्रभाव को बाधित कर सकता है। सिलचर के रहने वाले प्रोमित चौधरी भी मिलान स्थित एक संस्था से परास्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इटली आने से पहले उन्होंने दो साल तक महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में काम किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा समय में मेक्सिको की कंपनी में वरिष्ठ सलाहकार के पद पर काम कर रहा हूं और यूरोप में कंपनी के परिचालन का काम देख रहा हूं। वेंटिलेटर और मास्क जैसे सुरक्षा उपकरण की कमी को देखते हुए हमारी कंपनी कम मूल्य के और बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण पर काम कर रही है।’’ भाषा धीरज शाहिद शाहिद
Coronavirus: भारत सरकार की व्यवस्था के बावजूद इटली से नहीं लौटे तीन भारतीय, जानों क्यों लिया रुकने का फैसला
By भाषा | Updated: April 2, 2020 18:13 IST
यूरोप में महामारी के केंद्र बने इटली से वापस आने के बजाय तीन भारतीयों ने अपना काम पूरा करने के लिए वहीं रहने का फैसला किया है। इनमें से एक छात्र डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने, दूसरा कोरोना वायरस संबंधी शोध करने और तीसरा यह देखने के लिए है कि दुनिया में स्वास्थ्य सेवा के मामले पर दूसरे स्थान पर यह देश महामारी से निपटने के लिए कैसे काम कर रहा है। ये तीनों छात्र असम के रहने वाले हैं और करीब चार साल से इटली में हैं।
Open in AppCoronavirus: भारत सरकार की व्यवस्था के बावजूद इटली से नहीं लौटे तीन भारतीय, जानों क्यों लिया रुकने का फैसला
ठळक मुद्देयूरोप में महामारी के केंद्र बने इटली से वापस आने के बजाय तीन भारतीयों ने अपना काम पूरा करने के लिए वहीं रहने का फैसला किया है।ये तीनों छात्र असम के रहने वाले हैं और करीब चार साल से इटली में हैं। ये उन गिने चुने भारतीयों में हैं जिन्होंने वापस लाने की भारत सरकार की व्यवस्था के बावजूद इटली में ही रहने का फैसला किया।