कोरोना वायरस (Covid-19) से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह फर्जी खबरों को फैलाने में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सबसे परेशान करने वाला बिंदु फेक न्यूज का प्रचलन है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 24 घंटे के भीतर कोरोना वायरस की जानकारी के लिए विशेषज्ञों और पोर्टल की एक समिति गठित करने के लिए कहा।
केंद्र सरकार ने बताया है कि फर्जी खबरों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में एक अलग चैट बॉक्स स्थापित किया जा रहा है जिसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञ, एम्स और अन्य अस्तपतालों के डॉक्टर शामिल होंगे। इनका काम नागरिकों को सही जानकारी देना होगा ताकि वह गलत खबरों पर भरोसा ना करें।
लाखों लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है खाना
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। ये जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें आश्रयों में रखा गया है।
मंगलवार (31) मार्च को सुप्रीम कोर्ट लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुए हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ के सामने कहा, प्रवासी मजदूरों को निकटतम शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया है। क्योंकि घर लौटने से कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता था। उन्होंने कहा कि विदेश से आने वाले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग बहुत पहले ही हवाई अड्डों पर शुरू कर दी गई थी।