कोविड-19 के मामलों को ‘तबलीगी जमात’ के तौर पर व्यक्त करने का विरोध, दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा मामला
By भाषा | Updated: April 17, 2020 13:41 IST2020-04-17T13:36:51+5:302020-04-17T13:41:28+5:30
दिल्ली में कोरोना के अब तक 1,640 मामले सामने आए हैं। इसमें हालांकि, ज्यादातर निजामुद्दीन मरकज में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े हैं।

कोविड-19 मामलों को ‘‘तबलीगी जमात’’ अथवा ‘‘मस्जिद मरकज’’ के रूप में वर्गीकृत करने पर विरोध (फाइल फोटो)
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अनुरोध किया गया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके प्रशासन को कुछ कोविड-19 मामलों को ‘‘तबलीगी जमात’’ अथवा ‘‘मस्जिद मरकज’’ के रूप में वर्गीकृत करने से रोका जाए क्योंकि यह धार्मिक तौर पर चिह्नित करने के बराबर है।
दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के करीब 1,640 मामले सामने आए हैं और अब तक 38 लोगों की इसके कारण मौत हो चुकी है। बृहस्पतिवार को एक वकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि तबलीगी के कार्यक्रम के बाद से केजरीवाल ने अपने विभिन्न ट्वीट में संक्रमण के कई मामलों को ‘‘मस्जिद मरकज’’ नाम के अलग शीर्षक के तहत ‘‘जानबूझकर’’ रखा।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम एम कश्यप ने दावा किया कि कोरोना वायरस के मामलों को इस तरह पेश करने से ‘‘सांप्रदायिक बैर’’ पनपा है और इसके कारण एक धार्मिक समुदाय विशेष के प्रति नफरत का माहौल बना है। इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी उत्तर पूर्वी हिस्से में दंगे का दंश झेल चुकी है और जब दिल्ली में माहौल पहले से ही संवेदनशील और तनावपूर्ण है तो ऐसे में कोविड-19 के मामलों को इस तरह वर्गीकृत करने से हालात और खराब होंगे।
अधिवक्ता फौजिया रहमान और एम कय्यामुद्दीन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि वक्त की जरूरत है कि देश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हो। उन्होंने कहा कि ऐसे में इन मामलों को सांप्रदायिक रंग देने से यह उद्देश्य प्रभावित होगा। इस पर तत्काल रोक लगना चाहिए। इस याचिका पर 20 अप्रैल को सुनवाई हो सकती है।