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Coronavirus: उत्तर रेलवे ने ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन किए तैयार, हाथ लगाए बिना पानी और साबुन मिलेगा, जानें कैसे

By भाषा | Updated: April 26, 2020 05:39 IST

उत्तर रेलवे की कार्यशाला ने स्थानीय संसाधनों और विभागीय इंजीनियरिंग की मदद से ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन के कई मॉडल तैयार किए हैं। इनमें पैर से पैडल दबाने वाला क्लच-वायर मकैनिज्म, पैर से पैडल दबाने वाला मकैनिकल वाशबेसिन, बिजली से यांत्रिक तरीके से चलने वाला वाशबेसिन और सेंसर की मदद से स्वचालित वाशबेसिन शामिल हैं।

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ठळक मुद्देअपने कर्मचारियों और यात्रियों को कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त रखने के लक्ष्य से रेलवे ने अपने सभी स्टेशनों, क्षेत्र इकाइयों और अस्पतालों में ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन (जिसके संचालन के लिए हाथ के उपयोग की जरूरत नहीं होगी) लगाने की योजना बनायी है। शनिवार को एक आदेश जारी कर ट्रेन के यात्री डिब्बों के लिए भी ऐसे ही वाशबेसिन विकसित करने और प्रायोगिक तौर पर उन्हें लगाने को कहा गया है।

अपने कर्मचारियों और यात्रियों को कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त रखने के लक्ष्य से रेलवे ने अपने सभी स्टेशनों, क्षेत्र इकाइयों और अस्पतालों में ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन (जिसके संचालन के लिए हाथ के उपयोग की जरूरत नहीं होगी) लगाने की योजना बनायी है। शनिवार को एक आदेश जारी कर ट्रेन के यात्री डिब्बों के लिए भी ऐसे ही वाशबेसिन विकसित करने और प्रायोगिक तौर पर उन्हें लगाने को कहा गया है।

इस ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन में उपयोक्ता को अलग-अलग बोतलों से पानी या साबुन (तरल) लेने के लिए पैर से एक पैडल को दबाना होगा। सामान्य वाशबेसिन या साबुन के बोतल की तरह उसे हाथ से छूने की जरूरत नहीं होगी।

उत्तर रेलवे की कार्यशाला ने स्थानीय संसाधनों और विभागीय इंजीनियरिंग की मदद से ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन के कई मॉडल तैयार किए हैं। इनमें पैर से पैडल दबाने वाला क्लच-वायर मकैनिज्म, पैर से पैडल दबाने वाला मकैनिकल वाशबेसिन, बिजली से यांत्रिक तरीके से चलने वाला वाशबेसिन और सेंसर की मदद से स्वचालित वाशबेसिन शामिल हैं।

जोन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन मॉडलों को विकसित करने वाले उत्तर रेलवे की कार्यशाला को कितने ऑर्डर मिलते हैं, उसी के आधार पर तय होगी कि ये ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन कब से उपयोग में लाए जाएंगे।

उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य यांत्रिक अभियंता अरुण अरोड़ा ने कहा, ‘‘इन ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन का उपयोग स्टेशनों की क्षेत्र इकाइयों, कार्यशालाओं और अस्पतालों में होगा। हम इन्हें यात्री ट्रेनों के डिब्बों में भी लगाने की तरीका खोज रहे हैं और इनका परीक्षण जल्दी ही शुरू किया जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह महसूस किया है कि अगर हम अपने परंपरागत वाशबेसिनों में परंपरागत तरीके से ही हाथ धोते रहे तो यह महामारी और फैलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसा हैंड्स-फ्री सामान्य और भरोसेमंद वाशबेसिन जहां लोग नल और साबुन की बोतल को हाथ लगाए बगैर जितनी बार चाहें हाथ धो सकें, वही इस समस्या का उत्तर है।’’

ऐसे एक ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन की कीमत 8,000 से 11,000 रुपये के बीच आएगी। अरोड़ा ने कहा कि एक बार बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू हो जाए तो इसकी कीमत भी कम होगी।

उत्तर रेलवे की जगधारी स्थित कार्यशाला ने इस ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन को विकसित किया है। उत्तर रेलवे के फिल्ड कार्यालयों में फिलहाल 70 ऐसे वाशबेसिन लगाए गए हैं। ऐसे वाशबेसिन विभिन्न फिल्ड इकाइयों, कार्यशालाओं और नयी दिल्ली स्थित केन्द्रीय अस्पताल सहित उत्तर रेलवे से जुड़ी अन्य जगहों को भी मुहैया कराए गए हैं।

अरोड़ा ने कहा, ‘‘लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सभी क्षेत्र इकाइयों मे सामान्य कामकाम शुरू होने से पहले, हमारी योजना उत्तर रेलवे की सभी फील्ड इकाइयों में ऐसे सैकड़ों ‘हैंड्स-फ्री’ वाशबेसिन लगाने की है।’’

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