नई दिल्लीः राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी सदस्यों ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए संसद के मौजूदा बजट सत्र को जल्दी समाप्त करने की मांग की लेकिन सरकार ने इससे असहमति जतायी।
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने यह मांग की। कांग्रेस के एम वी राजीव गौड़ा ने अनुरोध किया कि कोरोना को देखते हुए सरकार को मौजूदा सत्र में कटौती करनी चाहिए या इसे स्थगित कर देना चाहिए। कांग्रेस के ही आनंद शर्मा ने कहा कि सामुदायिक दूरी की बात की जा रही है लेकिन इसका संसद में ही पालन नहीं किया जा रहा है। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सत्र में कटौती के बारे में कोई फैसला सरकार को करना है।
बुधवार को राज्यसभा के कुछ सांसद मास्क पहनकर ही सदन में पहुंचे। सभापति वेंकैया नायडू ने इसपर ऐतराज जताया और कहा कि सदन में इसकी इजाजत नहीं है। सभापति ने सांसदों से मास्क उतारने को कहा.उन्होंन कहा कि संसद परिसर की सफाई हो चुकी है। हर जगह हैंड सैनिटाइजर रखे गए हैं. यदि अब कोई सुझाव देता है, तो आप सचिवालय को बता सकते हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में इस वायरस से लड़ने का जुनून और जज्बा है। सदन में हमें इस वायरस से लड़ने का जब्जा दिखना चाहिए और हमें दहशत नहीं पैदा करना चाहिए। नायडू ने कहा कि संसद भवन परिसर में विशेष साफ-सफाई (सेनेटाइज) की गयी है और अंदर आने वाले लोगों की थर्मल जांच की जा रही है।
परिसर में विभिन्न स्थानों पर सेनेटाइजर भी रखे गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुबह मास्क पहन कर सदन में आए थे। सभापति नायडू ने इस पर अप्रसन्नता जताते हुए उन्हें मास्क हटाने को कहा। उन्हें कार्रवाई को लेकर आगाह भी किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने उनसे अनुरोध किया कि मास्क पहनने का फैसला सदस्य पर ही छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संवेदनशील स्थिति को देखते हुए उन्हें इसकी अनुमति देनी चाहिए। नायडू ने उनकी दलील को स्वीकार कर लिया लेकिन कहा कि सदन एक उदाहरण पेश कर रहा है। इससे पहले सुबह बैठक शुरू होने पर सदन ने अपने पूर्व सदस्य पुटप्पा पाटिल को श्रद्धांजलि दी।
उनका पिछले दिनों 98 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह दो बार सदन के सदस्य बने और उन्होंने सदन में तत्कालीन मैसूर राज्य का प्रतिनिधित्व किया था। सभापति नायडू ने यह घोषणा भी की कि उन्हें टीआरएस सदस्य धर्मपुरी श्रीनिवास और मनोनीत नरेंद्र जाधव से पत्र मिले हैं जिनमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से सदन की कार्यवाही में शामिल होने में असमर्थता जतायी है। भाषा अविनाश नरेश
कोरोना : राज्यसभा में उठा मास्क, सेनेटाइजर की कमी व ऊंची कीमतों का मुद्दा
कोरोना वायरस का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में भी उठा और कांग्रेस के एक सदस्य ने देश में मास्क तथा सेनेटाइजर की कमी और उनकी ऊंची कीमतों का मुद्दा उठाया। कांग्रेस सदस्य रिपुन बोरा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और कहा कि शहरी क्षेत्रों में ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी साबुनों, मास्क, सेनेटाइजर की कमी महसूस की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इन उत्पादों को काफी ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुरोध किया कि वह इन उत्पादों की आपूर्ति की निगरानी करे और उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करे। आप सदस्य संजय सिंह ने विशेष उल्लेख के जरिए यह मुद्दा उठाते हुए देश में कोरोना वायरस जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में भारत में काफी कम संख्या में लोगों की जांच की जा रही है। सिंह ने दक्षिण कोरिया में अपनाए गए मॉडल को यहां भी लागू करने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने कोरोना वायरस से प्रभावित देशों में फंसे भारतीय नागरिकों का मुद्दा उठाया और टूर आपरेटरों पर अंकुश लगाने की मांग की।
तेल कीमतों में कमी का लाम उपभोक्ताओं को भी देने की राज्यसभा में हुयी मांग
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में उठा और तेदेपा के एक सदस्य ने मांग की कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आयी भारी कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं को भी मिलना चाहिए। तेदेपा सदस्य के रवींद्र कुमार ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2019 में कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल थी जो फरवरी में घटकर 59 डॉलर हो गयी। उन्होंने कहा कि यह कीमत और घटकर 32 डॉलर हो गयी है।
कुमार ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में आयी भारी कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं को नहीं मिला और सरकार ने उत्पाद शुल्कों में वृद्धि कर दी। शून्यकाल में ही भाजपा के सतीश चंद्र दुबे ने बिहार के 10 जिलों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नेपाल की सीमा से लगे इन जिलों में बेहतर नेटवर्क नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पेटीएम सहित कई अन्य अहम कार्य अब मोबाइल फोन से ही हो रहे हैं।
टीआरएस के बंदा प्रकाश ने अनाथों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाए जाने की मांग की वहीं बीजद के प्रसन्ना आचार्य ने अनाथों को परिभाषित किए जाने तथा उनके कल्याण के लिए अलग निकाय बनाने की मांग की। शून्यकाल में ही भाजपा के श्वेत मलिक ने किडनी की बीमारियों से देश में हर साल 24 लाख लोगों की मौत होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने मांग की कि अंग दान करने से जुड़े नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए ताकि फूफा, मामा जैसे निकट के संबंधियों से भी किडनी ली जा सके।
अन्नाद्रमुक सदस्य विजिला सत्यानाथ ने अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण से जुड़े क्रीमी लेयर का मुद्दा उठाया और इसमें एकरूपता लाने की मांग की। शून्यकाल में ही कांग्रेस के जी सी चंद्रशेखर, सपा के रविप्रकाश वर्मा, जद (यू) की कहकशां परवीन ने भी लोक महत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए। वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी, बीजद के प्रसन्ना आचार्य, कांग्रेस की छाया वर्मा, अन्नाद्रमुक के एन गोकुलकृष्णन ने विशेष उल्लेख के जरिए अपने अपने मुद्दे उठाए।