नागपुरःकोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए सरकार ने देशभर में लॉकडाउन किया है. लेकिन लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों की समस्या जरूर बढ़ गई है. लॉकडाउन से काम बंद हैं. मजदूरों ने किसी तरह बचे हुए पैसों से गुजर-बसर किया है. लेकिन अब पैसे खत्म होते ही वे अपने पैतृक गांव, शहर का रुख कर रहे हैं. रविवार को शाम करीब 4.45 बजे कामठी रोड, टेका नाका से ऐसे ही अनेक मजदूर श्रंखलाबद्ध जाते हुए नजर आए. ‘लोकमत समाचार’ से बात करने पर कुछ मजदूरों ने बताया कि मध्यप्रदेश जा रहे हैं. यह मजदूर पश्चिम और उत्तर नागपुर के अलग-अलग इलाकों की साइट पर चल रहे निर्माण कार्य से जुड़े थे. अधिकांश लोग मध्यप्रदेश के सिवनी, गोपालगंज, खवासा आदि के बताए गए.
मजदूरों ने बताया कि काम पूरी तरह से बंद हैं, कुछ लोग खाना भी दे रहे हैं. लेकिन इसके अलावा भी जरूरतें हैं. जब तक पास में पैसा बचा था तो ठहरे रहे. लेकिन अब पैसा खत्म हो गया है इसलिए अपने गांव जा रहे हैं. मजदूरों ने अपने साथ सारा सामान सहित बच्चों को लिए पैदल ही निकल पड़े. बड़ी संख्या में मजदूर जाते दिखाई दिए. टेका नाका से ऑटोमोटिव चौक तक मजदूर थे. उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के बाद इस तरह की तस्वीर देश के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिल रही है. इससे सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर क्यों मजदूरों की सुध नहीं ली जा रही है. इन्हें लेकर लॉकडाउन से पहले ही सरकार को नीति बनाकर पहल करनी चाहिए थी.
बच्चे को लेकर छिंदवाड़ा जा रहा परिवार
ऐसा ही एक परिवार साथ में डेढ़ वर्ष के बच्चे को लिए छिंदवाड़ा की ओर पैदल जाता मिला. पूछने पर दिलीप मानेसर ने बताया कि चार महीने पहले वे पत्नी मंगोत्री मानेसर, मां व दो बच्चों के साथ नागपुर आए थे. भगवान नगर परिसर में ठेकेदार द्वारा काम मिला था. साइट पर ही मिली खोली में रहते थे. लेकिन लॉकडाउन होने से काम बंद पड़ गया. बचे हुए पैसे से किसी तरह 15 दिन निकाले लेकिन पैसा खत्म होने के बाद समस्या बढ़ गई. इसलिए वापस छिंदवाड़ा जा रहे हैं.