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कोरोना लॉकडाउन की एक और दर्दनाक तस्वीर! नोएडा से 900 किलोमीटर की यात्रा के बाद दिया बच्ची को जन्म, गांव अब भी 300 किलोमीटर दूर

By विनीत कुमार | Updated: May 16, 2020 08:27 IST

कोरोना लॉकडाउन: संदीप और उसकी पत्नी को बिहार के सुपौल जाना है। पत्नी 9 महीने की गर्भवती थी। इसके बावजूद लॉकडाउन को देखते हुए परिवार ने नोएडा से यात्रा की ठान ली। संदीप सब्जी बेचने का काम करते हैं।

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ठळक मुद्देनौ महीने की गर्भवती होने के बावजूद महिला ने की 900 किलोमीटर की यात्राबिहार के गोपलगंज पहुंचकर मिली मदद, इसी हफ्ते सोमवार को नोएडा से बिहार के सुपौल के लिए निकला था परिवार

कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के बीच पिछले करीब डेढ़ माह से देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच एक और दर्दनाक तस्वीर सामने आई है। एक गर्भवती और भूख से बेजार 28 साल की महिला रेखा देवी ने अपने पति के साथ नोएडा से करीब 900 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गुरुवार को बिहार-यूपी बॉर्डर के पास गोपालगंज में आखिरकार एक बच्ची को जन्म दिया। रेखा इसी हफ्ते सोमवार को नोएडा से निकली थी। 

रेखा और उसके पति को बिहार के सुपौल जाना है जो अब भी 300 किलोमीटर दूर है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार लगातार चार दिनों से सफर करते-करते गुरुवार को आखिरकार रेखा की हिम्मत जवाब दे गई और उसे तेज दर्द होने लगा। उसके पति संदीप यादव ने जब ये हालत देखी तो वो बैचेन होकर मदद के लिए चिल्लाने लगा। उसकी तीन और छोटी बेटियां भी साथ में थी जो अपने पिता की हालत देखकर परेशान हो गईं।

बहरहाल, किसी तरह रेखा के पास मदद पहुंची और एक एंबुलेंस उसे लेकर गोपालगंज सदर अस्पताल पहुंचा जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। इस बच्ची को शुक्रवार शाम तक वेंटिलेटर पर रखा गया था।

कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों की समस्या सबसे ज्यादा बढ़ाई है। हाल के दिनों में इन प्रवासियों के घर लौटने की कोशिशों से जुड़ी कई दर्दनाक तस्वीरें सामने आई हैं। अन्य प्रवासी मजदूरों की तरह संदीप ने भी डेढ़ महीने लॉकडाउन में अपनी बचत गंवाने के बाद आखिरकार अपने गांव जाने का फैसला किया था। संदीप और उसके परिवार ने सोमवार को पैदल ही यात्रा शुरू कर दी थी। संदीप नोएडा में सब्जी बेचने का काम करता है।

संदीप ने बताया, 'हम घंटों पैदल चलते रहे। इसके बाद आगे जाकर एक ट्रक ड्राइवर ने मेरी नौ महीने की गर्भवती पत्नी को देखा और शायद तरस खाकर उसने हमें ट्रक पर चढ़ा लिया। उसने हमें यूपी के चेकप्वाइंट बलठारी से 10 किलोमीटर पहले छोड़ा।'

संदीप के अनुसार उसके बाद मजदूर परिवार ने अपनी यात्रा फिर शुरू की और गोपालगंज पहुंचे जहां उनके नाम और पते रजिस्टर किये गए। संदीप ने बताया कि तपती धूप में चलते हुए इसके बाद उसकी पत्नी को दर्द शुरू हो गया। हालांकि परिवार की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई।

डॉक्टरों और सरकारी अस्पताल ने पहले रेखा को कोविड-19 पॉजिटिव होने के डर से भर्ती करने से ही मना कर दिया। इसके बाद संदीप ने गोपालगंज डीएम अरशद अजीज को उनके पर्सनल मोबाइल नंबर पर फोन कर मदद मांगा। अजीज के निर्देश के बाद आखिरकार रेखा को भर्ती किया जा सका। अजीज के अनुसार महिला के पति ने चेक-प्वाइंट पर अधिकारियों को अपनी पत्नी के गर्भवती होने के बारे में नहीं बताया था।

वहीं, गोपालगंज एसपी मनोज कुमार तिवारी ने कहा, 'डॉक्टरों द्वारा महिला और बच्ची को यात्रा के लिए फिट घोषित किये जाने के बाद हम एक गाड़ी का इंतजाम करेंगे ताकि परिवार को सुपौल पहुंचाया जा सके।'

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