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कोरोना लॉकडाउन में 25 लाख मजदूरों का पेट भर रही सरकार, दावा- कोई भी मजदूर सड़क पर नहीं है

By नितिन अग्रवाल | Updated: April 2, 2020 07:09 IST

स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों को आश्रय स्थलों में रह रहे मजदूरों से मानवीय व्यवहार करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य सचिव प्रीती सुदान ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं कि प्रवासियों की चिंता और भय को समझते हुए पुलिस और अन्य प्राधिकारियों को उनके साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए.

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ठळक मुद्देगृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव ने बताया कि राहत शिविरों में रहने वाले मजदूरों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दावा कर चुके हैं कि दिल्ली सरकार हर रोज 4 लाख मजदूरों और जरूरतमंदों को खाना खिला रही है.

नई दिल्ली: 1 अप्रैल कोरोना लॉकडाउन के दौरान सरकार से मिलने वाले भोजन पर निर्भर रहने वाले मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बुधवार तक यह तादाद 25 लाख हो चुकी है. एक भी मजदूर के सड़क पर नहीं होने के केंद्र सरकार के दावे के बावजूद मात्र 24 घंटे में ही इनकी संख्या में 2.12 लाख का इजाफा हो गया. इसके साथ ही राहत शिविरों में रहने वालों की संख्या भी बढ़ी है. गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकारों की ओर से प्रवासी मजदूरों के लिए खाने और रहने की व्यवस्था की गई है. सभी राज्यों में 21486 राहत शिविर बनाए गए हैं. जिनमें 6.75 लाख लोगों को आश्रय दिया गया है. इसके अतिरिक्त लगभग 25 लाख लोगों को खाना खिलाया गया है. हालांकि गृह मंत्रालय की ओर से कल तक सरकारी राहत कैंपों में रहने वाले मजदूरों की संख्या 6.66 लाख और खाना खाने वालों की संख्या 22.88 लाख बताई गई थी.

वहीं राहत शिविरों की संख्या भी 21064 थी. इस लिहाज से पिछले 24 घंटों में राहत शिविरों की संख्या में 422 की बढ़ोत्तरी हुई. शिविरों में रहने वालों की संख्या में 11000 नए लोग शामिल हुए वहीं खाना खाने वालों में भी 2.12 लोग और जुड़ गए. इतना ही नहीं, मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि अब कोई भी मजदूर सड़क पर नहीं है. उधर राज्य सरकारों की ओर से बताई जा रही मजदूरों की संख्या और गृह मंत्रालय द्वारा बताई जा रही मजदूरों की संख्या में बड़ा अंतर है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दावा कर चुके हैं कि दिल्ली सरकार हर रोज 4 लाख मजदूरों और जरूरतमंदों को खाना खिला रही है. महाराष्ट्र में सरकार ने 262 राहत शिविर बनाने और 70000 से ज्यादा लोगों के रहने की बात कही है. इसी तरह उत्तरप्रदेश, बिहार और दूसरे राज्यों में भी बड़ी संख्या में मजदूरों के राहत शिविरों में रहने की बात कही जा रही है. वहीं केरल सरकार ने भी 5000 शिविर बनाने की बात कही है. इस तरह मजदूरों की संख्या 30 लाख होने का अनुमान है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यों की ओर से दी जा रही जानकारी के आधार पर ही मजदूरों की संख्या के बारे में हमारी ओर से जानकरी दी गई है. संभव है कि राज्यों की ओर से अपने खुद के संसाधनों से भी मजदूरों के लिए अलग से इंतजाम किए गए हों जिसके चलते यह अंतर हो सकता है. 

राहत शिविरों में रहने वालों की होगी काउंसलिंग

गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव ने बताया कि राहत शिविरों में रहने वाले मजदूरों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी. यह काम प्रशिक्षित काउंसलर और धार्मिक, समुदायिक नेताओं के माध्यम से कराया जाएगा. केंद्र सरकार की ओर से मंत्रिमंडल सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमखों से अन्य बातों के साथ-साथ मजदूरों के लिए किए गए इंतजामों की समीक्षा की. वीडियो कांफ्रेंसिंग के मध्याम से हुए इस चर्चा में राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया गया कि राहत शिविरों में क्वारंटाइन की सुविधा के साथ-साथ साफ-सफाई, खान-पान की संपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. राज्यों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि जरूरी सामान की आवाजाही में किसी भी तरह की बाधा खड़ी नहीं हो. इसके अलावा राज्यों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए लोगों के खातों में सीधे लाभ देने के निर्देश दिए गए हैं.

प्रवासी मजदूरों से मानवीय व्यवहार करें

 स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों को आश्रय स्थलों में रह रहे मजदूरों से मानवीय व्यवहार करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य सचिव प्रीती सुदान ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं कि प्रवासियों की चिंता और भय को समझते हुए पुलिस और अन्य प्राधिकारियों को उनके साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए. इसके अलावा राहत शिविरों में प्रवासियों के कल्याण के कामों में पुलिस के अतिरिक्त स्वंयसेवकों को भी लगाया जाए जो गरीबों के दुखों को समझते हुए महिलाओं और बच्चों के साथ अधिक दयालुता से पेश आएं.

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